शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

ये पाँच

Grand children are God's way of compensating us for growing old and are the dots that connect the lines from generation to generation.


नम्बर वन  में आता  शियम                                    
जिसके सामने न चलता कोई नियम 
देख सफ़ेद बाल  नानू -नानी के ,कहता- 
'क्या हो जावोगे अब ईश्वर के प्यारे?'
जितनी चंचलता व शरारत  इसकी आँखों में 
उतना भोलापन और मिठास इसकी बातों में । 

नम्बर  टू  में आती  नायशा 

मधुर मुस्कान से कहती -वंडरफुल ! 
'यू आर द बेस्ट नानी  इन द  व्हॉल वर्ल्ड'
कला की यह रानी है ,नजरें इसकी पैनी हैं 
बारीकी से कनवास सजाती , गुड़िया 
की डाक्टर , ब्यूटिशियन व मम्मी बन जाती । 

नम्बर  थ्री में सिया है 

इसे टीचर कहने में कोई अचरज नहीं 
नाचने और नचाने में माहिर यह 
लीडर बन ऑर्डर करने में ,हाजिर यह 
अपनी मीठी -मीठी बातों से रिझाती 
नित नए -नए योगासन सिखाती । 

नम्बर  फॉर  में आता सोहम 

भोली -सी बोली ,भोली -सी सूरत 
'आप ठीक तो हो नानी ' ?-कह 
दिल में बसा देता अपनी सूरत 
भैया का नकलची बन्दर  यह 
ममता और प्यार का सिकंदर यह । 

नम्बर फाइव में बारी  नीव की 

सबसे छोटा ,सबसे खोटा  
टेलटविस्टर  हमारे घर का 
चुलबुली हरकतों से ,कभी 
बनता ही-मेन, तो कभी ऑयरन मेन 
कभी जग्गू ,कभी भीम बन करता मनोरंजन।   

इन पाँचों की पंचायत जब लग जाती 

मम्मी -पापा, नाना -नानी ,की ऑंखें भर आती  
इनकी प्यारी हरकत व तुतले बोलों से 
बचपन फिर लौट आता  आँगन में 
ईश्वर से है बस यही वंदना 
भरी रहे खुशियाँ इनके  दामन में ।

  

3 टिप्‍पणियां:

vanderloost ने कहा…

बहुत खूबसूरती व ममता से लिखी गयी कविता

Amit Agarwal ने कहा…

Waah! Kyaa baat hai...bachchon se aapka pyaar saaf jhalaktaa hai:) Sunder kavita!

mere vichar ek khuli kitab ने कहा…

Thanks Amit ji & Vanderloost
Han bachchon ke prati mera bahut lagav hai, ye meri kamjori ,mera utsah or meri hansi hai.