रविवार, 16 नवंबर 2014

पिकनिक

 

आज सुबह से ही स्कूल में बच्चों के पैरों की आहट बड़ी तिब्र सुन रही थी। कहीं पानी की बोतलें भरी जा रही थी, कहीं बैग सजाए जा रहे थे ,कहीं  मनपसंद खाने की चीजें लाई जा रही थी ,कहीं खेल के सामान तैयार किये जा रहे थे और कही -कहीं गुटबाजी चल रही थी ।मैंने  ऊपरी मंजिल  के मेरे कमरे की  खिड़की से झांक कर देखा, देखते  ही समझ गई -ओह ! आज तो 'स्कूल पिकनिक ' जो है । हाँ ! साल में शायद एक यही दिन होता है जब
ये विद्यार्थी सबसे अधिक उत्साहित नजर आते हैं । इनका उत्साह ,इनकी ख़ुशी बयाँ नहीं की जा सकती ।   आजाद पंक्षियों की तरह हॉस्टल से बाहर  मस्ती करने जो जा रहे थे । 
                                  गाड़ियाँ आई ,स्कूल गेट के बाहर रुकते ही सब के सब अपने निर्धारित स्थान पर बगुले भगत की तरह जा बैठे,कि  कहीं पिकनिक कैंसल न हो जाए  । गाड़ी चली और शोर -शराबे से पूरा वातावरण गूंज उठा । खेल के आइटम से खाने के मेन्यू तक सब मुख़स्त । किसी गाड़ी से फ़िल्मी गानों की ,किसी से "three cheers to Belle Vue", "three cheers for teachers n staff","three cheers for bellevians", आदि के नारे सुनने लगे। बच्चों में जोश देखते ही बनता था । सारे रास्ते गाड़ी के अन्दर  ही नाच -गाना  चलता रहा ।
                                   गंतब्य स्थान 'दुधे' जैसे ही गाड़ियां पहुंची ,एक -एक कर फटाफट पानी में डुबकियां लगने लगी । दुधे नदी तिस्ता नदी की शाखा है तथा पिकनिक स्पॉट भी ।बच्चों की सुरक्षा व सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया । खाना -पीना, खेल ,नाच-गाना और बहुत सारा मनोरंजन , सब ख़ुशी के सातवें आसमान 
पर थे ।      
                                   वापस आते -आते शाम ढलने लगी ,गाड़ी में बैठे -बैठे सोच रही थी क्या विद्यार्थियों की आज की यह ख़ुशी हमें कुछ सन्देश दे रही है ? हाँ । हम हमारे पढ़ाने  के ढंग में कुछ बदलाव लाए । पढाई को भी एक मनोरंजन का साधन  बनाए । शिक्षा के बढ़ते हुए तनाव को कम  करें । कहानी -किस्सों के साथ पाठ  का वर्णन करें । दिलचस्प उदाहरण प्रस्तुत करें । चित्रों का भी अधिकाधिक प्रयोग करें । नाटक के संवाद बच्चे बड़ी आसानी से याद कर  लेते है, अपनी पाठ्य -पुस्तक के नहीं -क्यों ? संक्षिप्त -सा उत्तर है -ये दिलचस्प नहीं है । पाठ  के संवादों को मंच पर मंचित करें । छोटी कक्षाओं से विज्ञानं आदि विषयों में बच्चों की रूचि ,बाहर खुले मैदान में पेड़ -पौधों ,फूलों आदि से मिलाकर भी प्रेरित कर बढ़ा सकते है। कक्षा के अन्दर  आपसी वार्तालाप व तर्क - वितर्क  के जरिए  भी रोचक बना सकते हैं । 
                                     
                                शिक्षा का माध्यम चाहे कुछ भी हो बस दिलचस्प  हो ताकि बच्चे  हंसी -ख़ुशी
 देश के अच्छे नागरिक बने ,अपनी जिम्मेवारियाँ  समझे तथा देश के भावी कर्णधार बने ।     

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