शनिवार, 29 नवंबर 2014

ये तो इंडिया है

ये  तो इंडिया है 

घर को मेरे मैं चार बार 
रोज सफा करवाता 
तनिक -सी गंदगी गर रह जाए
मुझे एलर्जी हो जाती 
घर से बाहर जब निकलता
गाड़ी की खिड़की से बाहर 
छिलका केले का हो या हो च्विंगम 
सड़क पर फेंकने में नहीं कोई गम 
किसके कपड़ों में चिपके 
फिसलकर किसकी हड्डी टूटे 
नहीं विषय मेरी चिंता का 
क्यूंकि -ये इंडिया है । 
  
मंदिर में प्रसाद सवा सेर ,
पत्थर की मूर्ति पर करता अर्पित
भूखे पेट बैठी छोटी -सी बाला,
उसी मंदिर के बाहर -'चल हट'
कह उसका करता तिरस्कार
मेरे बच्चे मेरे अपने हैं
स्वीट हार्ट और दिल के टुकड़े हैं
अनाथ कोई गर आए मेरे द्वारे
कहूँ अप- शब्द और धक्का मारूं
बेटा होने पर भव्य पार्टी
बेटी होने पर हुई बड़ी  चिता
क्यूंकि -ये तो इंडिया है ।

व्यापर अपना बढ़ाने को

नेताजी को दी रिश्वत
पेड़ लगाने की दी हिदायत
पर कागज की नावें बना बहा दी
आस -पास देख ढेर कूड़ों का ,
आँख -नाक सिकोड़ 
वहाँ सेपतली- गली निकल पड़ता
मिसेज मेरी ,भर बाल्टी कचरा
वहीँ पर डाल ,पहाड़ बना देती
मक्खी -मच्छर बहुत हो गए
'गुड -नाईट'की फरमाइस थमा देती
क्यूंकि ये तो इंडिया है ।

भाई मेरे ये तो इंडिया है ,
कहते वक्त भूल गया था
मैं भी तो इंडियन हूँ
भूल गया था कि
भारत बना -भारतवासी से
भूल गया था कि
देश परिवर्तन से पहले
स्वयं में परिवर्तन जरुरी है
जिस दिन समझ लूंगा कि
मैं सच्चा भारतवासी हूँ ,
गर्व से कहूँगा -"ये तो इंडिया है " ।
 
 

1 टिप्पणी:

qwn ने कहा…

सही और बेबाक बात. सुन्दर लिखा है आपने.