बुधवार, 12 नवंबर 2014

रामराज्य




रामराज्य की कल्पना हर व्यक्ति करता है । हम सभी एक ऐसी व्यवस्था चाहते हैं ,जहाँ  सकुन की जिन्दगी  बसर कर सकें । यंहा प्रश्न यह उठता है की क्या इस जमीन  को नरक बनाने के लिए हम स्वयं जिम्मेवार नहीं हैं ? क्या हमने अपनी आचार संहिता का पालन किया ? क्या हम अपने दैनिक जीवन में ऐसी गलतियाँ  नहीं करते ,जिनसे हमें शर्मसार होना पड़े ? क्या हम अपने पर्यावरण  को दूषित नहीं करते ? ऐसे बहुत सारे  प्रश्न है जिनका जवाब हमें स्वयं से पूछना चाहिए । सुशासन  की कल्पना करना अच्छी बात है ,परन्तु उसे कार्यान्वित करना भी हमारा फर्ज बनता है। अपने रोजमर्रा की जिन्दगी में इन छोटी -छोटी कल्पनाओं  पर अमल करें ,तो निश्चय ही हम रामराज्य की कल्पनाओं  से रूबरू हो सकते हैं । 

रामराज्य 

रामराज्य ,रामराज्य ,रामराज्य ,हो सारा जहाँ ,
स्वच्छ ,सुन्दर ,स्वस्थ  भारत देश महान । 

ईश्वर ने दिया प्रकृति का दान ,
सस्कृति धर्म की लगी कतार । 
ऋषि -मुनियों की भूमि महान ,
भाषा जाति का भरा भण्डार । 
वरदान स्वरुप मिली विजय । रामराज्य-------

ना  ही वृक्छ कटे ,न ही हमारी धरती धंसे ,
न हो बेघर प्रियजन हमारे ,बेमौत मरें न सखा सहारे । 
सुन्दर हरित धरती की अंगड़ाई ,लाए  न जीवन में महंगाई ,
पॉली बैग का करे तिरस्कार ,धरती का हो नव श्रृंगार । 
प्रदूषण रहित हो हमारा राज्य । रामराज्य -----------

दहेज़ की चिता में न जले ,बहन बेटी किसी की ,
ड्रग के ग्रास में जकड़े न संतान किसी की ,
धर्म की आड़  में न हो छति ,देश की ,
जाति -पांति की होड़ में कलंकित हो न धरती हमारी,
हो सम्मान नारी का ,अधर्म की पराजय । रामराज्य ---------

न हो कुर्सी की लड़ाई ,न पनपे आतंकवाद ,
नेताओं के स्वार्थ में न हो देश निलाम ,
शहीदों के बलिदान को करें सलाम ,
देशप्रेम और शिक्छा का करें सम्मान ,
करें यही कामना मिले हर पथ विजय । रामराज्य --------

जश्न आजादी का बार-बार   मनाएं,
स्वतंत्रता को सलामत रखना सिखाएं ,
हो होंसले बुलंद ,देश का गौरव  हमारी सौगंध ,
अहिंसा अमन का हर पल पाठ  पढ़ाए ,
शांति सन्देश हो सुरमय  । रामराज्य ---------- 
  

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