रविवार, 13 दिसंबर 2015

मेरा सबसे बड़ा पोता

मेरा सबसे बड़ा पोता 

सबसे बड़ा पोता मेरा 
शियम है उसका नाम 
दिल का सच्चा ,मन का अचछा 
बड़ा होकर बनेगा मेरा सहारा

हंसमुख चंचल और नटखट 
करता अपना काम झटपट 
पढ़ने लिखने मे है होशियार 
भाई - बहन से करता प्यार 


रविवार, 29 नवंबर 2015

Guwahati - I love You





Dr. bhupen Hazarika stadium
मेरा बचपन ,मेरी शिक्षा तथा एक नागरिक  में  मेरा पूर्ण विकास  जिस शहर में हुआ वह है गुवाहाटी । गुवाहाटी असम राज्ञा की राजधानी है तथा मेरा सबसे पसंदीदा शहर भी है । यह शहर भारतवर्ष  के उत्तरी - पूर्वी  हिस्से में स्थित है । 'गुवा' का अर्थ है 'सुपारी '(betel nut) और 'हाटी' का अर्थ है 'हाट 'यानि बाजार । यह सुपारी बेचने का प्रमुख शहर हुआ करता था । प्राचीनकाल में इस शहर को 'प्रयाग्ज्योतिषपुर ' के नाम से जाना जाता था ।


असम का यह शहर ब्रह्मपुत्र नदी और शिलॉंग के पत्थर के बीच बसा हुआ है । इस शहर की ओर आकृषित  होने का कारन है इसका प्राकृतिक सौंदर्य । इसके चारों तरफ नीलाचल पर्वत , चित्राचल पर्वत ,तथा नरकासुर पर्वत हैं । यह एशिया के प्राचीनतम  से एक है , जिसका जिक्र प्राचीन ग्रंथों व पुराणों में भी हुआ है । मध्य कल में यह अहोम राजा का राज्य था । मुगलों ने असम पर सतरह  बार आक्रमण किया था । बर्मा  (म्यांमार ) के आधीन भी यह शहर रहा , तत्पश्चात Anglo -Burmese युद्ध के बाद East India Company के आधीन आ  गया १८२६ ईस्वी में ।

उत्तरी -पूर्वी भारत के सातों राज्यों ( Meghalaya,  Aijwal ,Manipur , Nagaland, Arunachal Pradesh, Agarttala,, and Assam) से यह शहर बहुत ही सुन्दर -से जुड़ा हुआ है । Bhutan से भी यह शहर भलीप्रकार जुड़ा हुआ है । गुवाहाटी से अन्य शहरों व राज्यों से सड़क मार्ग ,रेल मार्ग ,हवाई मार्ग और जल मार्ग द्वारा यतायात
होता है ।

उपरोक्त सातों राज्यों का सबसे बड़ा शहर होने के नाते ,इसने आर्थिक प्रगति बी अति तीव्रता से की है । Malls, Multoplexes, Offices, Hotels ,commercial Complexes और Educational Institutions की यंहा तेजी से उन्नत्ति हुई है । गुवाहाटी विश्वविद्यालय  उत्तरी -पूर्वी भारत का प्रथम विश्वविद्यालय है । IIT, Medical College . Engineering College ,Law College ,College of Architecture, IIHM, Branch Of ICAI आदि सभी अनुष्ठान यहाँ है । Guwahati Refinery, Guwahati Tea Auction Centre यहाँ के मुख्या वाणिज्यीक केंद्र है । यहाँ से रसोई गैस ,केरोसिन ,इत्यादि बंगाल के सिलीगुड़ी तक जाते हैं । यहाँ की हस्त -कला भी बहुत सुन्दर है व् आर्थिक स्थिरता में सहायक है ।

गुवाहाटी को 'Gateway Of North -East India ' भी कहा जाता है ।  मुझे याद है जब 1977  में हमने अपना घर फेन्सी बाजार से G.S.Road शिफ्ट किया था तो चोरों और जंगल ही जंगल था । आज यह मार्ग गुवाहाटी का सबसे अधिक चहल -पहल वाली जगह है । सिनेमाघर ,मॉल, वाणिज्यिक केंद्र ,रेसिडेंशियल कोम्प्लेक्सेस इत्यादि यहीं बने है ।




गुवाहाटी को 'City Of Temples ' भी कहते है । माँ कामख्या का मंदिर यंहा का प्राचीनतम मंदिर है भारत के कोने - कोने से लोग दर्शन के लिए आते हैं । अन्य मंदिरों में शुक्रेश्वर मंदिर , उमानाथ 
वशिष्ठ आश्रम  ,
     तिरूपतिमंदिर ,व नवग्रह मंदिर प्रमुख है । इनके अलावा बहुतसारे दर्शनीय स्थान भी है । पाण्डु यंहा का बंदरगाह है।                                                                                                                                       


        
kamakhya temple 
                                                                                                                                         

<b>Guwahati</b> <b>City</b> from Kamakya Temple Hill having Train in Motion | Flickr ...
                                                         a view of the city from Kamkhya temple at night

यंहा के लोग बहुत शांतिप्रिय हैं । उल्फा आंदोलन ने टहलोगों के दिल में दशक फैला दी थी , पर अब हालत नियंत्रण में है । लोग कला प्रेमी हैं ,बिहू नृत्य यहाँ का प्रसिद्ध नृत्य है। सबसे बड़ी खासियत इस शहर की यह है कि यहाँ सर्वधर्म  व सभी जाति  के लोग खूब मिलजुलकर  शांतिप्रिय ढंग से रहते है । मुझ मेरे इस शहर से बहुत लगाव है ।

Evening view <b>from Guwahati</b> <b>City</b>, Assam<b>Guwahati</b> <b>City</b>






             bashishtha temple                                                                      balaji temple










umananda temple mid of river brahmaputra                  brahmaputra cruise                                            guwahati planeterium


मेरे बचपन से आज तक की गुवाहाटी की इन यादों के साथ  फिर एक बार यह कहूँगी ----Guwahati -I love you








मंगलवार, 24 नवंबर 2015

इन्तजार #Haiku

Beautiful <b>nature</b> wallpaper: Green <b>nature</b> wallpaper

picture google

इन्तजार  #Haiku

इंतजार में 
जिसके ,तन्हा हूँ ,वो 
कब आएगा ?



जागृति - संकीर्ण मानसिकता का उपचार



बात १९९७-९८  की है जब मेरे पति , अपने छोटे भाई के पास किसी काम के  शिलशिले में दिल्ली गए थे । अचानक रात को  उनका ब्लडप्रेशर  अत्याधिक बढ़ गया ,हॉस्पिटल ले जाया गया। किन्तु  उनको अपनी बीमारी का ही ख़ौफ़ हो गया ,यदि उन्हें कुछ हो गया तो हम सब की देखभाल कौन करेगा । Physicians,Cardiologists तथा कई डॉक्टर्स को दिखाया गया ,अनेक टेस्ट्स कराये गए ,मगर कहीं  कोई बीमारी नहीं पकड़ी गयी । Doctors के मुताबिक इन्हे शारीरिक तौर पर  कोई बीमारी थी ही नहीं ।

अंत में  Appolo hospitals , Chennai के एक  Cardiologist ने सुझाव दिया की हमें Psychaterist को दिखाना चाहिए । हम इससे इतने वाकिफ़  नहीं थे , पर डूबते को तिनका का सहारा भी अच्छा लगता है । अब Dr. V. Muthukrishnan से साक्षात्कार शुरू हुआ , उन्होंने बताया की मेरे पति Panic Attack  से जूझ रहे हैं ,यानि उन्हें स्वयं की बीमारी का डर इतना अधिक बैठ गया था कि  जिना  दूभर हो रहा था । इनके इलाज़ से आज मेरे पति बिऴकुल स्वस्थ्य हैं ।

मानसिक बिमारियों  के प्रति हमें नजरिया बदलना होगा ।  अक्सर  हमारी यही धरना होती है कि  हम कोई पागल थोड़े -ही हैं ,जो  psychaterist or psychologist के पास जाएँ । मानसिक बीमारी भी अन्य रोगों की तरह भीमरी ही है ,जो इलाज से बखूबी ठीक हो सकती है ।

मानसिक रूप से पीड़ित व्यति को हमारे  साथ , हमारे प्यार , हमारी समझ  की आवश्यकता है ।

Panic attack-  A panic attack is a response of the sympathetic nervous system (SNS). The most common symptoms include tremblingdyspnea (shortness of breath), heart palpitationschest pain (or chest tightness), hot flashes, cold flashes, burning sensations (particularly in the facial or neck area), sweatingnauseadizziness (or slightvertigo), light-headednesshyperventilationparesthesias (tingling sensations), sensations of choking or smothering, difficulty moving, and derealization. These physical symptoms are interpreted with alarm in people prone to panic attacks. This results in increased anxiety .
दूसरी एक बात पर और आपका ध्यान अकृषित करना चाहूंगी , वो है Dyslexia  and  ADHD. मेरा  स्कूल में अक्सर दो - चार  ऐसे बच्चों से सामना हो जाता  है  जो  Dyslexic or ADHD  होते हैं । दुःख की बात यह है कि बच्चों के माता - पिता मानने के लिए तैयार ही नहीं होते कि उनका बच्चा इन बीमारियों  से ठीक हो सकता है ,वह और साथियों की तरह पूरा ध्यान दे सकता है ,सुधर कर सकता है । यह कह कर छोड़ दिया जाता है की बच्चा कमजोर है या शैतान है । 

 ADHD stands for attention deficit hyperactivity disorder, a condition with symptoms such as inattentiveness, impulsivity, and hyperactivity. The symptoms differ from person to person. ADHD was formerly called ADD, or attention deficit disorder. Both children and adults can have ADHD, but the symptoms always begin in childhood. Adults with ADHD may have trouble managing time, being organized, setting goals, and holding down a job.
Dyslexia facts
  • Dyslexia is difficulty in learning to read.
  • Dyslexia can be related to hereditary factors or other factors that affect brain development.
  • The precise cause of dyslexia is not fully understood.
  • Diagnosis of dyslexia involves reviewing the child's processing of information from seeing, hearing, and participating in activities.
  • Treatment of dyslexia ideally involves planning between the parent(s) and the teachers.
मानसिक कमजोरियों या बिमारियों के लिए हमें AWARENESS की 

बहुत जरुरत है । हमें इन्हें दिल से अपनाने कि  जरुरत है इनके सहायक

बनाने की जरुरत है ।

मैंने अपना अनुभव  आप सभी  से बांटने की कोशिश की है ताकि

मानसिक रोगो को समझने की चेतना जागे ।


Quotes from wikiepedia, mednet.com etc.                         

शनिवार, 14 नवंबर 2015

Reluctant Embrance

- Is One of my favourite poem, which is worded by my daughter Nancy Bindal .
जब Nancy की यह कविता मैंने  पहली बार पढ़ी तो इसके शब्दों ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया , लगा भूकम्प आ  गया है । अब महसूस करती  हूँ कि  कब हम दिमागी और वास्तविक रूप  से स्वतंत्र होंगे लिंग भेद को लेकर ?

Reluctant Embrace

Nine months were done,but `that hour ' lay,
Swaying between hope and despair 
My "unwanted angel" you ushered out 
Crying lamentations that we  now share.

The womb that bore you so long, 
Wish would have carried a son instead
I'd lived my life as a woman, child
It called upon you , to walk ahead .

No flower offered to the temple Gods,
Not a conch shell blown the day you were born
The mantras were chanted in frenzy 
Your life , your destiny, deliberately torn .

Shackled by chains , given in early marriage
Educate to assist ,not to debate 
Your ideology fainted in mute protests
Alas ! That was to instruct, not educate!

Adorned in bridal finery for the world to know 
You lay here dead, unloved and unmourned
An accidental fire or a dowry death ?
Confined to a statistic in police records .

Your life was brief and best forgotten
A subject of pain and disgrace
My girl I offer you the reasons herein
That justify my reluctant embrace !!

-Nancy Bindal


सोमवार, 9 नवंबर 2015

रोशनी जो हादसा बनी



एक छोटी मगर बड़ी दर्दनाक घटना आप सबके साथ साझा करना चाहूँगी । सुमित झंवर , मेरा  एक student, जिसके  लिए  दिवाली की चकाचौंध कर देने वाली रोशनी सदा के लिए अँधेरा बन गयी ।  उसकी कहानी उसकी जुबानी -

"दीपावली का दिन ,मैं और मेरे दोस्त बड़े ही उत्साहित थे। दीपों की झिलमिलाहट ,पटाकों का शोर ,सुन्दर -सुन्दर परिधान और मिठाइयों की खुशबू ,हमें और भी उत्साहित कर रही थी । विशेषकर बच्चों को पटाकों  का बड़ा शौक  होता है । मैं  भी पटाके छोड़ने के लिए लालायित था । अपने दोस्तों के साथ मैं जैसे ही  पटाकों का आनंद ले रहा था कि  अचानक पटाके की सुलगती चिंगारी मेरी आँखों में घुस गयी । देखते ही देखते मेरी आँख से खून बहने  लगा । मैं और मेरे दोस्त घबरा गए । पीड़ा के साथ -साथ मुझे मेरे माता - पिता का सामना करने में  भी डर लग रहा था । दोस्तों की सहायता से मैं घर लाया गया । मेरे माता - पिता यह हालत देख घबरा गये  । मुझे हॉस्पिटल लाया गया । डॉक्टर ने जाँच के बाद बताया की मेरी आँख के दो टुकड़े हो गए हैं । 

कुछ प्राथमिक इलाज के बाद मुझे चेन्नई के "शंकर नेत्रालय " ले जाया गया । यहाँ  भी डॉक्टर्स ने जाँच के बाद यह फैसला सुनाया की मेरी आँख को बचाया नहीं जा सकता ,तथा शरीर के अन्य भाग में  इसका इन्फेक्शन न  फ़ैले   ,मेरी आँख को पूर्णतया निकालने  का फैसला लिया गया । दूसरे दिन मेरी दाहिनी आँख निकाल दी गयी । मेरी छोटी -सी लापरवाही ने मेरी यह 'रौशनी ' तो मुझ से छीन  ही ली साथ - ही -साथ मेरे माता -पिता, प्रियजनों के चेहरे पर भी उदासी लिख दी । मुझे कृत्रिम आँख का सहारा लेना पड़ा ।" 

इसी सन्दर्भ में मैं अपने Indiblogger के पाठकों से यह कहना चाहूंगी के दीपावली मनाएं ,खूब धूमधाम -से मनाये परन्तु पटाकों  से दूर रहें तथा पूरी सावधानी बरतें । त्योंहार ख़ुशी देने के लिए होते है ,उनका दुर्पयोग जीवन में गम छोड़ जाता है । लापरवाही जीवन में हादसा बन कर आ  सकती है । कहीं  यह जगमगाती चिंगारी आपकी जिंदगी  का हादसा न बन जाये । 

एक  तरफ हम धन के लिए लक्ष्मी की पूजा करते हैं  ताकि हमारा घर धन से सम्पन्न हो ,दूसरी तरफ धन फ़िज़ूल में  व्यर्थ करते है।  इस  व्यर्थ धन से हम कितने भूखों  का पेट भर सकते है । आज बढ़ते  प्रदुषण को और बढ़ावा देते हैं । ये कहाँ  तक तर्कसंगत है । जहाँ  स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए वंहा खाने पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता ।  जिह्वा के स्वाद के सामने  स्वास्थ्य  मात खा जाता है । 

अंत में मैं  यही कहूँगी -  
                              रंग -विरंगे बल्ब झपा -झप  ,महलों में जलते हैं,
                              ट्यूब लाइट के नीचे बाबू लक्ष्मी को छलते है । 
                              महलों में बजती ताली ,झोपड़ियों में ताला है ,
                              महलों में मनती दिवाली , झोपड़ियों में दिवाला है।

आपको तथा आपके समस्त परिवार को दीपावली की ढेरों शुभकामनायें  ।  

               
  

मंगलवार, 3 नवंबर 2015

बेलभ्यू - मेरा सच्चा प्यार

बेलभ्यू -,बेलभ्यू 
हिमालय की गोदी में बसा।,
कंचनजंघा की चोटी  से कसा । 
हरी -भरी धरती की अंगड़ाई ,
तौलती पर्वतों की ऊंचाई । 
बेलभ्यू -,बेलभ्यू---------

रंग -बिरंगे मेघों से घिरा ,
सजाता नन्हे फूलों को सदा । 
विद्या का तू भंडार बड़ा 
विनय का भरता सदा घड़ा । 
बेलभ्यू -,बेलभ्यू---------

तूने दिया जीने का सार ,
चुस्ती -फुर्ती ,कामयाबी दी है अपार । 
तेरे आँचल  में मिलती खुशियां हजार ,
उत्पन्न हुई , कुछ करने की चाहत बार -बार । 
बेलभ्यू -,बेलभ्यू---------

भाषा- जाति , पास -पड़ोसी,
का भेद -भाव कर दूर  । 
तू है मुस्कराने का जरिया ,
देता नन्हे-नन्हे  फूलों का प्यार । 
बेलभ्यू -,बेलभ्यू---------

तेरी क्षत्र -छाया में ना  हो सूनापन ,
झोली भर -भर देता अपनापन  । 
'गुडमॉर्निंग मेम ' से शुरू होता दिन ,
मिलता असीम सुख और सम्मान  । 
बेलभ्यू -,बेलभ्यू---------

रहे सलामत तू बेलभ्यू ,
करूँ न नित गुणगान क्यूँ  । 
फैले तेरा यश , रखूं अरमान यूँ '
ओ ! मेरे प्यारे  बेलभ्यू बोर्डिंग स्कूल । 
बेलभ्यू -,बेलभ्यू---------

 If I talk about my love , the first name comes in my mind is -"Belle Vue Boarding School". My in-laws have started this in the year 1981, since than this has given me love ,respect,fame ,friends and added meaning to my life. In these 35 years I have learnt a lot from my students ,collegues and parents .I really Love YOU- B.V.B.S.

linking with
 Indispire #84
write about your true love, it can be a person, place, thing, activity, anything. Something/someone that makes you feel special, complete in life. #truelove

   

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

mere vichar- ek khuli kitab: सहानुभूति या समानता (emphaty or equality)

mere vichar- ek khuli kitab: सहानुभूति या समानता (emphaty or equality): ईश्वर की सबसे सुन्दर रचना  अद्भुत ,ममतामयी ,स्थिर ललना  पीढ़ी- दर -पीढ़ी , तूने की संरचना  सह पुरुषत्व की तानाशाही ,सीखा लड़ना ।  क्यों आ...

शनिवार, 3 अक्तूबर 2015

सहानुभूति या समानता (emphaty or equality)

ईश्वर की सबसे सुन्दर रचना 
अद्भुत ,ममतामयी ,स्थिर ललना 
पीढ़ी- दर -पीढ़ी , तूने की संरचना 
सह पुरुषत्व की तानाशाही ,सीखा लड़ना । 

क्यों आज चाहिए हमें सहानुभूति 
मानवता की हैसियत से ?
क्या कम हैं हममें  हुनर और अनुभूति 
संतुलन और सहिष्णुता ,किसी नज़र से ?

आजीवन क्या अर्धांगिनी बन 
स्वयं अस्तित्व को क्षीण बनाए ?
क्यों ना एक और एक दो बन 
संसार से यह असमानता हटाएं ?

स्वावलंबी हो पंख फैलाएँ 
अपना रुतबा हर ओर बढ़ाएँ 
बेटी -बेटे का भेद मिटायें 
आत्मसम्मान की ज्योति जलाएँ । 

न होगी जरुरत सहानभूति की 
न होगी जरुरत समानता की 
शक्ति बने दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मीबाई 
इंदिरा ,सरोजिनी ,कल्पना चावला -सी ॥  

गुरुवार, 24 सितंबर 2015

मेरी जिंदगी का मंत्र

मैं सच कहूँ कि  मेरे जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करनेवाला  quote अगर कोई  है तो यह वह quote है  जिसे मेरे  जीवन का मंत्र कहा जा सकता है  -
  "Love what you have.Need what you want,Accept what you recieve.Give what you can. Always remember what goes around,comes around."

Love what you have. Need what you want.--इस भौतिक संसार  में आत्म संतुष्टि बहुत बड़ा गुण  है । जिंदगी तभी आसान ही सकती है ,जब हमारे पास जो कुछ है ,उससे प्यार करें । हमें जिन चीजों की जरुरत है उसकी चाहत जरूर रखें । फिजूल या व्यर्थ की चीजों की चाहत रखने से घर में कूड़ा ही इक्कठा होता है । materialistic चीजों से ज्यादा हम उनसे प्यार करें जो वसूल हमारे जीवन से जुड़े हैं ।

किसी से कोई अपेक्षा रखना शायद जीवन से खुशियां छीन लेती है । जो जैसा है उसे उसी तरह स्वीकार करें ,तो जीवन आसान हो जाता है । अपेक्षा किए  जो कुछ मिलता है वह बेहद ख़ुशी प्रदान करता है । हमारी जिंदगी जिम्मेवारियों से भरी पड़ी हैं, इनका सामना स्वयं हमें करना है ।

'ईश्वर से  हमारा नाता  'दाता  और पता ' का है । वह देता है हम लेते हैं । उसे हम अपने स्वार्थ के सिवाय कुछ नहीं देते । इसलिए कम से कम हमारे पास जो कुछ है -रुपया -पैसा न सही ,प्यार ओर सहानभूति के दो शब्द तो दे ही सकते हैं ।


Accept what you recieve--इस परिवर्तनशील संसार में समय के अनुसार परिवर्तन को स्वीकारना बहुत जरुरी है । आज generation gap की सबसे बड़ी वजह "परिवर्तन ' को अस्वीकरना है । सहनशीलता और समझदारी दोनों के बिना संयुक्त परिवार चलाना  नामुमकिन है । रिश्तों को निभाना ,दोस्ती बरकरार रखना युवावों के साथ चलना -इन सब के लिए सोच बदलनी होगी ।

Always remember,what goes around ,comes around- हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए की हम औरों के साथ जैसा सलूक  करते हैं ,हमारे साथ भी वैसा ही होता है । यह स्वाभाविक है 'जैसा करेंगें वैसा भरेंगें "। शकुन के बदले शकुन ,अपशब्द के बदले अपशब्द ही मिलते है । Accept the responsibility of your life .it is you who will get you where you want to go, no one else.

मैं विश्वास करती हूँ -'life does not get better by chance ,it gets better by change.' परिस्थिति  व जरुरत के अनुकूल स्वयं को बदलने में । खुद वो बदलाव बनिए जो आप दूसरों में देखना चाहते हैं. । 

यह article मैंने सिर्फ  Indispire #lifemantra  के लिए लिखा है ।    

मंगलवार, 15 सितंबर 2015

अपूर्ण ख्वाहिशें

<b>Poetry</b> is the art of creating <b>imaginary</b> gardens with real toads.
picture google
क्या सोचती थी ,
वह याद नहीं ।
क्या चाहती थी ,
भूल गयी ।
समय के थपेड़ों ने ,
समुद्री लहरों -सी ,
एक छोर से
दूसरे छोर  तक ,
यूँ सुरक्षित ,
पहुंचा दिया कि -
शहर की गलियां ,
खोजने स्वयं
निकल पड़ी ।
जीवन के पथ पर ,
अनेक रूप मिले ,
पर किसी से कोई
शिकवा नहीं,
क्यूंकि हमसफ़र 
कुछ ऐसे मिले 
फिर चाह कोई 
बाकी  न रही । 
जीवन की संध्या 
के आते -आते ,
अपूर्ण ख्वाहिशें 
कविताओं में 
परिणित हो गयी । 
ऐ खुदा ! अब 
इन कविताओं को 
जिन्दा रखना मुझमें ,
कि  हँसते -मुस्कराते 
गुजरे जिंदगी । 








मंगलवार, 8 सितंबर 2015

mere vichar- ek khuli kitab: आज़ाद पंक्षी ये गगन के

mere vichar- ek khuli kitab: आज़ाद पंक्षी ये गगन के:                  जैसे ही एक दिन ,अपनी ऑफिस में घुसी  एक छोटी -सी चिड़िया ,चोंच में लिए मिट्टी  खिड़की से होकर बायीं दिवा...

बुधवार, 2 सितंबर 2015

प्रेम का पर्याय -" घीसा "



voice-Archana Chauji


प्यार का दायरा बहुत विस्तृत होता है।  ढाई अक्षर का यह 'प्रेम' ही वह शब्द है ,जो हर तरह के  रिश्तों  को बांध कर रखता है।

उपर्युक्त audio में लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा रचित कहानी 'घीसा' भाषित की गयी है । इस कहानी में गुरूजी (महादेवी वर्मा जी ) का गड़ेरियों  व ग्वालों  के अल्हड़  बच्चों के प्रति प्रेम व लगाव दर्शाया गया है। "घीसा " एक ऐसा बालक है जो अत्याधिक गरीब दुबला -पतला व कुपोषण का शिकार है।

गुरु के प्रति इसका प्रेम हम भलीप्रकार समझ सकते हैं  जब वह सुबह  पहले आकर  पेड़ के नीचे की जगह अपने गमछे से प्रतिदिन सफा करता है। गुरूजी की सीट चमकाता है ,भींगा  कुर्ता पहन कर आता  है जब गुरूजी स्वच्छ रहने की सलाह  देती है । अपना नया कुर्ता बेचकर  अपनी पूज्यनीया  गुरु जी के लिए उपहार लाता है   ,वे हिन्दू  -मुस्लिम दंगों के चपेट में ना आ  जाये - यह सोचकर ज्वर से ग्रस्त होने के बावजूद भी  अपनी झोपड़ी से अकेला उन्हें खोजने निकल पड़ता है । तरबूज सफ़ेद न निकल जाए - थोड़ा -सा कटवाकर ,अंगुली से चखता है । यह एक ऐसा प्रेम है जो आँखों को भी नम कर देता है।

दूसरी ओर  गुरूजी एक प्रतिष्ठित लेखिका होने के बावजूद भी ,जब भी अवकास मिलता गंगा किनारे इस झुग्गी -झोपड़ी के इलाके में इन गरीब बच्चों के साथ अपना अवकास बिताती ,उन्हें पढ़ाती -लिखाती ,स्वच्छता का महत्व बताती । दुबारा फिर किसी अवकास के वक्त वे गंगा किनारे इन बच्चों के बीच आती हैं ओर उन्हें मालूम पड़ता है कि  घीसा तो अपने भगवान को प्यारा हो गया है तो अन्य बच्चों में ही उसकी छवि ढूंढती है ।  यानि उनकी अपने कार्य में निःस्वार्थ  संलगनता -उन बच्चों  के प्रति प्रेम नहीं तो क्या है ? अपने कर्तब्य के प्रति लगाव नहीं तो क्या है ?  हाँ यह एक ऐसी  LOVE STORY है जो  मेरे दिल को सिर्फ  छू ही नहीं गयी अपितु   निःसंदेह प्रेरणा का श्रोत है ।   

सोमवार, 24 अगस्त 2015

कल और आज #Poetryonopposites

कल बचपन था, आज बुढ़ापा
तब चहल -पहल थी ,आज शुनशान
मिठी लगती थी तब,घुघनीवाले की घुघनी
केले के पत्ते में ,पत्ते की ही  चमच से
प्याज और धनिया ,चाट -चाट कर खाना
खट्टी हो गयी है चॉकलेट भी आज
फोफले हो गए गाल,गिर गए सारे दाँत
तब केले के पत्ते में ,खाकर स्वाद आता था
पिज्जा आज कीमती क्रॉकरी में बेस्वाद लगता है
मटकी का पानी भी ठंडा और  स्वच्छ लगता था
आज फ्रीज़ भी गर्म और आर.ओ भी अस्वछ्च है
बचपन में ज्यादा खाने पर भी पच जाता था
इस बुढ़ापे में थोड़ा खाते  ही अपच हो जाती है
कल 'पोशम्पा' का खेल भी स्फूर्ति देता था
आज तो  ताश के पत्ते भी थका देते हैं
कल एक ही ईशारे पर ,दोस्त दौड़ आते थे
आज अनेक बार बुलाने पर बहाने ढूंढते हैं
कल पॉकेट में एक पैसा न था ,फिर भी
मदमस्त ,चहकते ,बेपरवाह खेलते थे
आज ढेर सारा बैंक -बैलेंस ,जमीं -जायदाद है
पर वही उदासी ,मुरझाना ,सबकी परवाह है
कल बचपन था, आज बुढ़ापा
तब चहल - पहल थी ,आज शुनशान । 







  

बुधवार, 19 अगस्त 2015

ओस की ख्वाहिश

Dew Rose by DaFotoGuy

<b>Rose</b> <b>Dew</b>: la foto 1024 x 768 pix.








                                 



ओस ने की ख्वाहिश गुलाब से
जी चाहता है भर लूँ आलिंगन में        
जो देखती हूँ तुझे काँटों में पलते
फिर भी रहते सदा मुस्कराते
हँसते -हँसाते और मुस्कराते ।

जी चाहता है तेरे आलिंगन में
गुजर जाए छोटा-सा जीवन मेरा
White Rose Dew Drops Picturesतेरे जैसे राजा की रानी बन
सीखूं काँटों के बीच जीना
हंसना -हँसाना और खिलखिलाना ।                             

सुन बात ओस की ,गुलाब ने कहा -
कभी मुरझा जाता था जल्दी
पाकर अकेला स्वयं को
जब मिला स्पर्श तेरा
फिर से जीने की चाह  जगी  ।

तेरे आलिंगन मात्र से
मोतियों से सज गया हूँ
भींगा -भींगा -सा ,मस्त
पवन में तरो -ताज़ा हो, तेरी
चाहत का दीवाना हो गया हूँ ।








 ,




  

सोमवार, 17 अगस्त 2015

स्वाधीनता के 68 साल

 the national flag of india is a horizontal rectangular tricolour of ...

स्वतंत्रता के लिए ,जब चढ़ गए फांसी पर 
वीर भगतसिंह और चंद्रशेखर आज़ाद 
अहिंसा के सैनानी ,लड़ गए अपनी जान पर 
तब 15 अगस्त 1947 ने सुनी स्वतंत्रता की हुंकार 
अंग्रेजों के चंगुल से ,भारत हुआ आज़ाद । 

सोहरत कमाई ,तरक्की और तकनिकी पाई 
शिक्षा ,संस्कृति ,धीरे -धीरे आगे बढ़ी 
बैलगाड़ी से हवाईजहाज बन गए हम 
डॉक्टर ,इंजीनियर और वैज्ञानिक हो, अस्तित्व 
और पहचान की तलाश में ,छोड़ गए अपना वतन।   

जश्न सजने लगे , खुशियाँ मनने लगी 
संस्कृति ,सदाचार ,कर्मठता भूले हम 
कुर्सी की लड़ाई में, शहीदों की शहादत हुई कुर्बान 
पार्टी -पॉलिटिक्स चलने लगी ,मानवता बिकने लगी 
भ्रष्टाचार ,आतंक ,बलात्कार व घोटाले पनपने लगे । 

हिसाब -किताब की बारी आई ,तो काले झंडे लहराए

'मै नहीं तुम' की लड़ाई और जोरों से गहराई 
मै पूछती हूँ स्वयं से ,क्या है भागीदारी मेरी  
वोट देने का हक़ भी हमने ,भलिप्रकार न निभाया
सारा दोष मंढ सरकार के माथे ,ऐश -आराम फ़रमाया । 

जब तक जमीर न जागेगा ,हाथ अग्रसर न होंगे 
चेतना जागृत न होगी ,कर्मठता सोयी रहेगी 
जिम्मेदारी नहीं तय ,आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे तो  
मेरे देशवासियों ! रहेंगे गुलाम हम अपने ही हाथों 
यूँही कटेगी जिंदगी ,न ले सकेंगे स्वतंत्रता की साँस। 

पूर्ण आज़ादी मिलेगी तब ,होंगे जब सहस्त्र हाथ संग
स्वच्छता हो, बलात्कार चाहे हो  भ्रष्टाचार 
सब मिट जायेंगे ,होंगे जब स्वयं ईमानदार 
मुझसे समाज ,समाज से देश -सोच यह अपना लो 
छंट जायेंगे 68 साल के काले बादल ,देश होगा महान ।  
  




शनिवार, 8 अगस्त 2015

आज़ाद पंक्षी ये गगन के


                


Critter Corner / 1568 One of Five <b>Eggs</b> in <b>Bird</b> <b>Nest</b> <b>Hatching</b>









जैसे ही एक दिन ,अपनी ऑफिस में घुसी 
एक छोटी -सी चिड़िया ,चोंच में लिए मिट्टी 
खिड़की से होकर बायीं दिवार से चिपकी 
रोज  यूँही तिनके बिटोर खिड़की से आती । 

धीरे -धीरे उसने घोंसला एक सुन्दर बनाया 
<b>hatching</b>-<b>birds</b>_640कितनी मेहनत ,कितने चक्कर बारम्बार लगाया 
छोटे -छोटे अंडे पांच , नीड़ उसने अपना सजाया 
बैठी रहती पंख फैलाए ,उन अण्डों को गरमाया । 

यह दृश्य देख -देख बीते कुछ दिन 
सुनी सुबह ,मीठी ची -ची की आवाज
नन्हें -नन्हें  चोंच खोलते चूजे निकले पांच 
माँ  चिड़िया लुटाने ममता ,थी बड़ी मेहरबान। 

माँ  बच्चों  को दूध पिलाती ,बहुतेरा देखा है 
माँ चिड़िया का ममत्व, तो पहली बार देखा है 
बार -बार उड़ती ,दाना सहेज ,चोंच भर लाती 
... tern chick hatches from its <b>egg</b>. --Photographer: Michael Kernक्रमशः बिना चुके ,पांचों को खिलाती  । 

देख माँ को आते ,नन्हें  चूजे करते चूँ -चूँ 
दाना दुनकर बड़े प्यार से ,भूख मिटाती वो यूँ 
खड़े पास में देख किसी को ,डरकर सहम जाती 
कोई बच्चोँ  को छीने ,सोच मौन हो जाती । 

क्या तुलना करे हम ,इस बेजुबान से 
माया -ममता कम नहीं ,माँ हो किसी जहान से 
सीखा उड़ना ,स्वतंत्र छोड़ देती नभ में 
मनुष्यों-सा बंधन नहीं,आज़ाद पंक्षी ये, गगन के । 


गुरुवार, 6 अगस्त 2015

IS RESERVATION FAIR#ARSHAN UNNATI YA AVANATI

Is Reservation Fair #आरक्षण उन्नति या अवनति


आरक्षण शब्द सुनने में तो बड़ा आरामदायक लगता है । जहाँ  तक हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी का सवाल है आरक्षण बड़ा उपयोगी है । जब कभी हॉटेल और रेस्टॉरेन्ट में पार्टी देते है ,अपनी लम्बी चौड़ी टेबल पर 'reserved' देखकर बड़ी प्रसन्नता होती है । रेल में सवार करते वक्त अपनी टिकट पर सीट नंबर के आगे 'confirmed'  देखकर एक ठंडी व लम्बी साँस ले लेते हैं । सिनेमा हॉल में जाएँ और अपनी टिकट बूकिंग  'online' हो तो फिर क्या कहना ,आराम से पैर फैलाये और पिक्चर का आनंद लें । क्यूँ  ?

अगर रोज़मर्रा की जिंदगी से हटकर देखें तो आरक्षण का जटिल रूप सामने आता  है । क्या सचमुच में ये आरक्षण साहब देव है या दानव ?आरक्षण का जन्म जबसे उच्च शैक्षिक संस्थानों ,सरकारी नौकरियों , सरकारी ठेकों आदि में हुआ है - यह विवाद का विषय बन गया है । जो लोग निम्न वर्ग के लोगों को 'अछूत ' समझते थे ,आज वे SC/ST/OBC अपने नाम के सामने लगाने में कोई परहेज नहीं रखते ,न ही शर्म महसूस करते हैं ।

हमारी देश की स्वाधीनता के बाद आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के लोगों को खेती की जमीन दी गई  ताकि वे अपनी रोजीरोटी कमा सकें । धीरे -धीरे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी यह अनुदान जारी रहा और हमारे राजनेतागण इसे वोट बैंक का आधार बनाते रहे । राजनैतिक गलियारे में  वोट की रक्षा के लिए ढाल  के रूप में काम आने लगा ।

कुछ हद तक आरक्षण का समर्थन आर्थिक रूप से जो लोग कमजोर है , जँहा  वास्तविकता में भूखमरी है - उचित है । आरक्षण के अलावा  इस समस्या  का अन्य समाधान  भी निकल सकता है । आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को  SHCHOLARSHIP  ,फीस में छूट आदि अन्य व्यवस्था की जा सकती है । सरकारी स्कूल ,कॉलेज  का स्तर  बढ़ाया जाना  चाहिए ,आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए ,योग्य  व सक्ष्म शिक्षकों की नियुक्ति की जानी  चाहिए । जिसका सीधा लाभ गरीब विद्यार्थियों को मिल सके ।

"GIVE A MAN FISH : YOU HAVE FED HIM FOR TODAY. TEACH A MAN TO FISH ; AND YOU HAVE FED HIM FOR A LIFETIME,"

IIT,IIM,MEDICAL संस्थानों में आरक्षण जाति  के आधार पर ख़त्म कर देना चाहिए । इस प्रथा के चक्कर में भ्रष्टाचार बढ़  रहा है , फर्जी सर्टिफिकेट्स बनने  लगे हैं । स्वयं को SC/ST/OBC साबित करने की  होड़ लगी हुई है ।

दूसरी तरफ मेधावी छात्रों को दाखिला ही नहीं मिल पा  रहा है । क्या हम हमारे देश की प्रतिभाओं को पीछे छोड़ , जातिवाद को आगे बढ़ा प्रगतिशील भारत की नींव  मजबूत कर सकते हैं ? आज हम भारतवासी स्वयं को जाट , हिन्दू मुस्लिम , सिख , इशाई ,कश्मीरी ,ट्राइबल में विभाजित कर रहें हैं । इस आरक्षण की आड़ में क्या हम प्रतिभाशाली डॉक्टर ,इंजीनियर ,IITIAN, IIM'S ,राजनेता को पनपने से रोक नहीं रहे ?????




रविवार, 2 अगस्त 2015

Hamara Ashiyana

हमारा आशियाना 

सारी  दुनिया का भ्रमण क्यों न कर लें, आखिर शकुन तो अपने घर आकर ही मिलता है । "अपना घर " जिंदगी में बहुत मायने रखता है । 

'बेलेभ्यू  कॉटेज'- यह हमारा प्यारा -सा आशियाना है । सन  1857 में अंग्रेजों के शासन के दौरान बनी यह कुटी ,158 साल पुरानी धरोहर हो गयी है । पश्चिम बंगाल के कर्सियांग  ( दार्जीलिंग ) शहर में हमारा यह छोटा -सा घर है । यँहा के पूर्वज व  बासिंदे इसे " जहाज कोठी " व  " शिशा  कोठी " के नाम से जानते हैं । जहाज कोठी -क्योंकि इसका अकार जहाज (ship) जैसा है तथा "शीशा कोठी - क्योंकि  इसके चोरों तरफ शीशे ही शीशे लगे थे । इसका वास्तविक नाम जो मील साहब ने दिया था है - BELLE VUE COTTAGE , आज भी यह name plate गेट पर लगी है । 




प्रकृति की गोद  में बसी यह कुटी अपने - आप में बड़ी अनूठी है । इसके उत्तर में हिमालय की चोटी 'कंचनजंघा 'अपनी चांदी -सी चमक बिखेरती है ,तो पूर्व में प्रातःकाल  'सूर्योदय अपना अद्भुत नज़ारा पेश कर सुबह का स्वागत करता है । दूसरी तरफ दक्षिण में 'सिलीगुड़ी ' शहर इसकी एक ही खिड़की में समां जाता है तो पश्चिम में संध्या समय 'सूर्यास्त 'भी अपने पुरे यौवन में होता है । पल में कुहासे के बादल छु जाते हैं तो दूसरे पल सूर्य की किरणें । 



नभ को छूते लम्बे -लम्बे देवदार के वृक्ष ,बादलों से वाष्प ग्रहण कर इसके चारों और जमीं को भिगोते है । चायपत्ती के बगीचे यूँ प्रतीत होते हैं ,जैसे मोटा -सारा हरा गलीचा ,इसके आस  -पास  बिछा दिया गया हो । इन्ही बागानों के मध्य कैद होता है 'धोबी -खोला '(झरना ),जिसकी कल -कल कर बहने की आवाज प्रातःकाल के सन्नाटे में संगीत भर देती है । 

जैसे -जैसे रात  नजदीक आती  है ,हमारे इस आशियाने के चारों तरफ 'दीवाली ' मनने लगती है । बाहर  बगीचे में खड़े होकर घूम कर देखें तो दिल में बस जाने वाला वह नज़ारा नजर आता है ,जो किसी पर्वतीय स्थल की चोटी  से । चारों तरफ ऊँचे -ऊँचे पर्वतो पर बसे छोटे -छोटे गांवों  ममे जलती बत्तियाँ 'दीवाली 'व 'टिम -टिमाते तारों' -सा नज़ारा पेश करती है । 

चौड़े और मोटे -मोटे पत्थरों से बनी  इसकी दीवारें ,जो 24 " मोटी  हैं ,पुरातन धरोहर का स्वयं परिचय देती है । कोठी के अंदर की कारीगरी भी कोई कम  नहीं । अंग्रेजों के ज़माने से बने fire places, चिमनी , ऊँची -ऊँची बर्मा टीक  की सीलिंग , फर्श स्वयं अनूठे हैं । 




समय और जरुरत के अनुसार कुछ परिवर्तन इसमें हमने किये हैं । हमारी यह कुटी (Belle Vue Cottage) किसी स्वर्ग से काम नहीं है ।



 



बुधवार, 22 जुलाई 2015

PAPA KE CHASHME SE---

पापा के चश्मे से- 


देखना चाहती हूँ 

वह सब, 
जो पापा ने देखा था । 
एक छोटे -से गांव से 
शहर तक का सफर, 
बड़ी सफलता से 
अहसास किया था ।  
मुझे क्यों --
धुंधला दिखता है ? 
शायद - 
उम्र का तकाजा नहीं ,
जो इस चश्मे को है।  
देखना चाहती हूँ -
वह हंसी -मुस्कराहट ,
वह संजीदगी व सादगी, 
वह निःस्वार्थ कामयाबी, 
वह अल्हड़पन -नादानी 
 जिसने संवारा जीवन 
धुंधला ही सही -
देखना चाहती हूँ -
वह दुनियादारी -रिश्ते 
वे गुजरे पल 
समाई जिसमें सारी यादें।  
हाँ -चश्मे के इस 
धुंधलके में -
कुछ -कुछ दिखने लगा है ,
हूबहू वही चेहरा 
जो मेरे -
पापा का है । 
My father gave me the greatest gift anyone could give another person, he believed in me. - Jim Valvano
      
 DEDICATED TO MY BELOVED FATHER ON HIS 7TH DEATH ANNIVERSARY.  
 

mere vichar- ek khuli kitab: Budhapa - rah ka roda nahi

mere vichar- ek khuli kitab: Budhapa - rah ka roda nahi: बुढ़ापा - राह का रोड़ा नहीं   अपनी जिंदगी के साठ  वसंत पार करने जा रही हूँ साल 2016 में । बचपन से लेकर आजतक सबकुछ झोली भरकर मिला । दाद...

सोमवार, 20 जुलाई 2015

Budhapa - rah ka roda nahi


बुढ़ापा - राह का रोड़ा नहीं 




अपनी जिंदगी के साठ  वसंत पार करने जा रही हूँ साल 2016 में । बचपन से लेकर आजतक सबकुछ झोली भरकर मिला । दादा -दादी ,माता -पिता का  प्यार ,भाई -बहनों संग अठखेलियाँ ,पति का प्यार ,बच्चों की खुशियां व आदर -सम्मान सबकुछ भरपूर मिला । किन्तु इन सबको पाने के लिए संघर्ष करते रहना पड़ा ।
समझदारी,सहिष्णुता और संतुलन की बहुत जरुरत पड़ी ।

वरिष्ठ नागरिक होने की कगार पर अब भविष्य तो सोचने का विषय है । मैं इस कथन में विश्वास रखती हूँ-हेनरी फोर्ड ने ठीक ही कहा है   "जो सीखना छोड़ देता है वो बूढ़ा है,चाहे बीस का हो या अस्सी का, जो सिखाता रहता है वो जवान रहता है ,जिंदगी की सबसे बड़ी चीज है अपने दिमाग को जवान रखना । "

ईश्वर ने सबसे बड़ा न्याय मेरे साथ यह किया कि  मुझे तीन बेटियाँ दी ,उनके साथ तीन बेटे फ्री में मिल गए । तक़दीर की धनी  मैं  कुछ कम  नहीं । पांच प्यारे - प्यारे नाती -नातिन जिंदगी में बहार लेकर आए हैं ।इस संदर्भ में मैं यही कहूँगी की जिंदगी के उन पलों को जिए ,याद रखें जो खुशियां देते हैं ।
"Cherish all your happy moments, they make a fine cushion for old age ." -Christopher Morley.
"Health is wealth "-यही है जो जीवन की संध्या को सहज और सुन्दर बनाने के लिए सबसे अधिक जरुरी है । भगवन बुद्धा ने भी कहा है -"बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं ,बस पीड़ा की स्थिति है -मौत की छवि है । "
हमारा दिमाग चुस्त है तो बुढ़ापे की चिंता किस बात की । सोच नयी तो उम्र नयी

मुझे बच्चों से बड़ा लगाव है । अपने नाती -नातियों के साथ जो लम्हे बिताती हूँ ,वे मुझे  चुस्त ,स्फूर्तिवान और तनावमुक्त बना देते हैं । ऐसे भी मैं शिक्षा के क्षेत्र से जुडी हूँ ,बच्चों के साथ समय बिताना ,उन्हें कुछ सीखना ,उनसे कुछ सीखना मुझे बड़ा अच्छा लगता है ।

"आत्म सम्मान की  रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म है । "-मुंशी प्रेमचंद  चाहे हम किसी उम्र के पड़ाव पर क्यों न पहुँच जाएँ ,आत्म -सम्मान का ख्याल जरूर रखना चाहिए । आत्म -सम्मान आर्थिक स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है ।
वृद्धावस्था में आर्थिक रूप से सम्पन्न रहना चाहिए ,जिसकी त्यारी युवावस्था से ही करनी चाहिए । हम काम से काम अपने स्वयं की खर्च उठाने की क्षमता जरूर रखें ,ताकि किसी के सामने हाथ फ़ैलाने की जरुरत न पड़े ।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है - बिना समाज के हम नहीं रह सकते ,अकेला महसूस करेंगें । Lion's Club की सदस्या होने के नाते अक्सर बीमार ,पिछड़े वर्ग के लोगों की सेवा करने का सौभाग्य मिलता हैं ,जो जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं । अपने हम उम्र लोगो के साथ समय बिताना ,एक दूसरे के सुख -दुःख बाँटना ,आपसी मदद करना जिंदगी को आगे बढ़ता है।

सबसे बड़ी चीज है कर्मठ होना "As long as I am breathing ,in my eyes ,I just beginning".- Criss Jami
हम अपनी आयु को अड़चन या रोड़ा के रूप में देखें तो गलत होगा । अंतिम साँस तक हमें काम करते रहना चाहिए ।
             
"खुदी  को कर बुलंद इतना की हर तक़दीर से पहले          
 खुदा बन्दे से पूछे ,बता तेरी रज़ा क्या है  ?"

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