सोमवार, 4 जुलाई 2016

अंतर्मन की पुकार #forgiveness



क्यूँ  कर क्षमा करूँ मैं 
चोट जमीर पर खाई 
दिल हुआ खंडित शीशे -सा 
अश्रुधारा नैनों से बह चली 
विश्वासघात का प्रहार हुआ 
स्वप्न के परे की कल्पना से 
मुखातिब आज हुआ 
इतना सब सह लेने पर भी 
नींद न आई रात -भर 
करवटें बदलता रहा
अजीब -सी कसमकस में 
अंतर्मन से निकली पुकार 
क्षमा का मिला वरदान 
सांसे लौटी ,हुआ सबेरा 
हल्का हुआ मस्तिष्क 
उधेड़ -बुन से मिली मुक्ति 
हुआ जब यह एहसास 
क्षमादान कठिन ,पर है श्रेष्ठदान ।


This post is written for the Inspire prompt "Forgiveness is not easy to come by. But it is a sign of one's inner strength. What is your take on it?#Forgiveness






4 टिप्‍पणियां:

Durga Prasad Dash ने कहा…

Yes it is difficult to forgive, but it could be one of the best gifts you can give someone

Ira ने कहा…

bahut sundar!

Jyoti Dehliwal ने कहा…

क्षमा करना इंसान के अपने हित में है। इससे हमें आत्मिक संतुष्टि मिलती है। सुन्दर प्रस्तुरि।

sunaina sharma ने कहा…

beautiful thoughts!