हमारा आशियाना
सारी दुनिया का भ्रमण क्यों न कर लें, आखिर शकुन तो अपने घर आकर ही मिलता है । "अपना घर " जिंदगी में बहुत मायने रखता है ।
'बेलेभ्यू कॉटेज'- यह हमारा प्यारा -सा आशियाना है । सन 1857 में अंग्रेजों के शासन के दौरान बनी यह कुटी ,158 साल पुरानी धरोहर हो गयी है । पश्चिम बंगाल के कर्सियांग ( दार्जीलिंग ) शहर में हमारा यह छोटा -सा घर है । यँहा के पूर्वज व बासिंदे इसे " जहाज कोठी " व " शिशा कोठी " के नाम से जानते हैं । जहाज कोठी -क्योंकि इसका अकार जहाज (ship) जैसा है तथा "शीशा कोठी - क्योंकि इसके चोरों तरफ शीशे ही शीशे लगे थे । इसका वास्तविक नाम जो मील साहब ने दिया था है - BELLE VUE COTTAGE , आज भी यह name plate गेट पर लगी है ।
प्रकृति की गोद में बसी यह कुटी अपने - आप में बड़ी अनूठी है । इसके उत्तर में हिमालय की चोटी 'कंचनजंघा 'अपनी चांदी -सी चमक बिखेरती है ,तो पूर्व में प्रातःकाल 'सूर्योदय अपना अद्भुत नज़ारा पेश कर सुबह का स्वागत करता है । दूसरी तरफ दक्षिण में 'सिलीगुड़ी ' शहर इसकी एक ही खिड़की में समां जाता है तो पश्चिम में संध्या समय 'सूर्यास्त 'भी अपने पुरे यौवन में होता है । पल में कुहासे के बादल छु जाते हैं तो दूसरे पल सूर्य की किरणें ।
नभ को छूते लम्बे -लम्बे देवदार के वृक्ष ,बादलों से वाष्प ग्रहण कर इसके चारों और जमीं को भिगोते है । चायपत्ती के बगीचे यूँ प्रतीत होते हैं ,जैसे मोटा -सारा हरा गलीचा ,इसके आस -पास बिछा दिया गया हो । इन्ही बागानों के मध्य कैद होता है 'धोबी -खोला '(झरना ),जिसकी कल -कल कर बहने की आवाज प्रातःकाल के सन्नाटे में संगीत भर देती है ।
प्रकृति की गोद में बसी यह कुटी अपने - आप में बड़ी अनूठी है । इसके उत्तर में हिमालय की चोटी 'कंचनजंघा 'अपनी चांदी -सी चमक बिखेरती है ,तो पूर्व में प्रातःकाल 'सूर्योदय अपना अद्भुत नज़ारा पेश कर सुबह का स्वागत करता है । दूसरी तरफ दक्षिण में 'सिलीगुड़ी ' शहर इसकी एक ही खिड़की में समां जाता है तो पश्चिम में संध्या समय 'सूर्यास्त 'भी अपने पुरे यौवन में होता है । पल में कुहासे के बादल छु जाते हैं तो दूसरे पल सूर्य की किरणें ।
नभ को छूते लम्बे -लम्बे देवदार के वृक्ष ,बादलों से वाष्प ग्रहण कर इसके चारों और जमीं को भिगोते है । चायपत्ती के बगीचे यूँ प्रतीत होते हैं ,जैसे मोटा -सारा हरा गलीचा ,इसके आस -पास बिछा दिया गया हो । इन्ही बागानों के मध्य कैद होता है 'धोबी -खोला '(झरना ),जिसकी कल -कल कर बहने की आवाज प्रातःकाल के सन्नाटे में संगीत भर देती है ।
जैसे -जैसे रात नजदीक आती है ,हमारे इस आशियाने के चारों तरफ 'दीवाली ' मनने लगती है । बाहर बगीचे में खड़े होकर घूम कर देखें तो दिल में बस जाने वाला वह नज़ारा नजर आता है ,जो किसी पर्वतीय स्थल की चोटी से । चारों तरफ ऊँचे -ऊँचे पर्वतो पर बसे छोटे -छोटे गांवों ममे जलती बत्तियाँ 'दीवाली 'व 'टिम -टिमाते तारों' -सा नज़ारा पेश करती है ।
चौड़े और मोटे -मोटे पत्थरों से बनी इसकी दीवारें ,जो 24 " मोटी हैं ,पुरातन धरोहर का स्वयं परिचय देती है । कोठी के अंदर की कारीगरी भी कोई कम नहीं । अंग्रेजों के ज़माने से बने fire places, चिमनी , ऊँची -ऊँची बर्मा टीक की सीलिंग , फर्श स्वयं अनूठे हैं ।
समय और जरुरत के अनुसार कुछ परिवर्तन इसमें हमने किये हैं । हमारी यह कुटी (Belle Vue Cottage) किसी स्वर्ग से काम नहीं है ।
समय और जरुरत के अनुसार कुछ परिवर्तन इसमें हमने किये हैं । हमारी यह कुटी (Belle Vue Cottage) किसी स्वर्ग से काम नहीं है ।
1 टिप्पणी:
Very beautiful home you have
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