शनिवार, 23 जनवरी 2016

स्मरण वो यादें , जब तुम  मेरी गोदी में खेला करती
मृणालिनी तू मेरे आँगन में ,चारों ओर चहका करती
तितली -सी चंचल तू , अब बेटों संग उलझा करती
खेल -खेल में कब हो गयी बड़ी ,रच गयी  शादी तेरी
तारों  -सी रहे चमक ,ससुराल ओर मायके में तेरी
क्त गुजर गया ,दहलीज़  बदल गयी ,न  बदली तू
रक्की व ख़ुशी मिले ,यही कामना तेरे जन्मदिन पर मेरी  

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