गुरुवार, 6 अगस्त 2015

IS RESERVATION FAIR#ARSHAN UNNATI YA AVANATI

Is Reservation Fair #आरक्षण उन्नति या अवनति


आरक्षण शब्द सुनने में तो बड़ा आरामदायक लगता है । जहाँ  तक हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी का सवाल है आरक्षण बड़ा उपयोगी है । जब कभी हॉटेल और रेस्टॉरेन्ट में पार्टी देते है ,अपनी लम्बी चौड़ी टेबल पर 'reserved' देखकर बड़ी प्रसन्नता होती है । रेल में सवार करते वक्त अपनी टिकट पर सीट नंबर के आगे 'confirmed'  देखकर एक ठंडी व लम्बी साँस ले लेते हैं । सिनेमा हॉल में जाएँ और अपनी टिकट बूकिंग  'online' हो तो फिर क्या कहना ,आराम से पैर फैलाये और पिक्चर का आनंद लें । क्यूँ  ?

अगर रोज़मर्रा की जिंदगी से हटकर देखें तो आरक्षण का जटिल रूप सामने आता  है । क्या सचमुच में ये आरक्षण साहब देव है या दानव ?आरक्षण का जन्म जबसे उच्च शैक्षिक संस्थानों ,सरकारी नौकरियों , सरकारी ठेकों आदि में हुआ है - यह विवाद का विषय बन गया है । जो लोग निम्न वर्ग के लोगों को 'अछूत ' समझते थे ,आज वे SC/ST/OBC अपने नाम के सामने लगाने में कोई परहेज नहीं रखते ,न ही शर्म महसूस करते हैं ।

हमारी देश की स्वाधीनता के बाद आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के लोगों को खेती की जमीन दी गई  ताकि वे अपनी रोजीरोटी कमा सकें । धीरे -धीरे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी यह अनुदान जारी रहा और हमारे राजनेतागण इसे वोट बैंक का आधार बनाते रहे । राजनैतिक गलियारे में  वोट की रक्षा के लिए ढाल  के रूप में काम आने लगा ।

कुछ हद तक आरक्षण का समर्थन आर्थिक रूप से जो लोग कमजोर है , जँहा  वास्तविकता में भूखमरी है - उचित है । आरक्षण के अलावा  इस समस्या  का अन्य समाधान  भी निकल सकता है । आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को  SHCHOLARSHIP  ,फीस में छूट आदि अन्य व्यवस्था की जा सकती है । सरकारी स्कूल ,कॉलेज  का स्तर  बढ़ाया जाना  चाहिए ,आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए ,योग्य  व सक्ष्म शिक्षकों की नियुक्ति की जानी  चाहिए । जिसका सीधा लाभ गरीब विद्यार्थियों को मिल सके ।

"GIVE A MAN FISH : YOU HAVE FED HIM FOR TODAY. TEACH A MAN TO FISH ; AND YOU HAVE FED HIM FOR A LIFETIME,"

IIT,IIM,MEDICAL संस्थानों में आरक्षण जाति  के आधार पर ख़त्म कर देना चाहिए । इस प्रथा के चक्कर में भ्रष्टाचार बढ़  रहा है , फर्जी सर्टिफिकेट्स बनने  लगे हैं । स्वयं को SC/ST/OBC साबित करने की  होड़ लगी हुई है ।

दूसरी तरफ मेधावी छात्रों को दाखिला ही नहीं मिल पा  रहा है । क्या हम हमारे देश की प्रतिभाओं को पीछे छोड़ , जातिवाद को आगे बढ़ा प्रगतिशील भारत की नींव  मजबूत कर सकते हैं ? आज हम भारतवासी स्वयं को जाट , हिन्दू मुस्लिम , सिख , इशाई ,कश्मीरी ,ट्राइबल में विभाजित कर रहें हैं । इस आरक्षण की आड़ में क्या हम प्रतिभाशाली डॉक्टर ,इंजीनियर ,IITIAN, IIM'S ,राजनेता को पनपने से रोक नहीं रहे ?????




2 टिप्‍पणियां:

Madabhushi Rangraj Iyengar ने कहा…

गीता जी,

शायद आपसे एक प्रमुख पहलू छूट गया है - अब युवा आरक्षण पाने के लिए अनुसूचित (जन)जाति के लोगों से शादी रचाने लगे हैं. पता नहीं समाज किस रूप में इसे देख रहा है, किंतु स्वार्थ होने के कारण, यह समाज की भलाई शायद नहीं कर पाएगा.
वैसे आरक्षण, शेर को आदमी के खून का स्वाद देना साबित हो चुका है. अब शेर आदम-खून की ही माँग करेगा और कुछ खाएगा भी नहीं.
अब रहे हमारे नेता, तो कौन अपनी मिट्टी-पलीद करवाएगा, आरक्षण का विरोध करके. यह ऐसा ही चलता रहेगा.
सही मायने में सरकार को चाहिए कि कम से कम अग्रणी शैक्षणिक संस्थाओं से शुरु करके, धीरे धीरे नीचे की और आरक्षण बंद करने की शुरुआत करें. अन्यथा देश इसी गति से पनपेगा(?).
आरक्षण की वजह से देश की शैक्षणिक योग्वयता व कार्यकुशलता पर आ रही आँच को रोकना जरूरी है.

mere vichar ek khuli kitab ने कहा…

Thanks Rangraj ji for your valuable comments.