मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

Parivartan


परिवर्तन 

ख्यालों के तानों -बानों में 
सपनो की गहराइयों में 
आज और कल के अंतराल में 
नव और पुरातन में 
एक परिवर्तन चाहिए 
एक परिवर्तन चाहिए । 

कथनी और करनी में 
भाषण और वादों में 
नेता और प्रजा में 
देश और राजनीति में
एक परिवर्तन चाहिए 
एक परिवर्तन चाहिए ।

कलम और तलवार में
साहित्य और समाज में 
व्यापार और व्यवस्था  में 
भूख और पिज़्ज़ा में 
एक परिवर्तन चाहिए 
एक परिवर्तन चाहिए ।

ना अड़े रहें ,ना  डटे रहें 
अन्धविश्वास की संकीर्णता पर 
बढे चलें -बढे चलें 
सभी के उत्थान के लिए 
सुन्दर भविष्य के लिए 
एक परिवर्तन चाहिए ।  
  

3 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत शानदार और सशक्त रचना .

mere vichar ek khuli kitab ने कहा…

Dhanyavad Sanjay ji meri kavita pasand karane ke liye.

kashpals ने कहा…

aap bahut badiya lekte ho. :)