स्मरण वो यादें , जब तुम मेरी गोदी में खेला करती
मृणालिनी तू मेरे आँगन में ,चारों ओर चहका करती
तितली -सी चंचल तू , अब बेटों संग उलझा करती
खेल -खेल में कब हो गयी बड़ी ,रच गयी शादी तेरी
तारों -सी रहे चमक ,ससुराल ओर मायके में तेरी
वक्त गुजर गया ,दहलीज़ बदल गयी ,न बदली तू
तरक्की व ख़ुशी मिले ,यही कामना तेरे जन्मदिन पर मेरी
मृणालिनी तू मेरे आँगन में ,चारों ओर चहका करती
तितली -सी चंचल तू , अब बेटों संग उलझा करती
खेल -खेल में कब हो गयी बड़ी ,रच गयी शादी तेरी
तारों -सी रहे चमक ,ससुराल ओर मायके में तेरी
वक्त गुजर गया ,दहलीज़ बदल गयी ,न बदली तू
तरक्की व ख़ुशी मिले ,यही कामना तेरे जन्मदिन पर मेरी
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