घड़ियाली आँसू
कैसे सुनाऊ मेरी कहानी ,
मेरी महिमा है अंजानी ,
क्या ख़ुशी ,क्या गम ,
मैं दिखता हर पल ,हर दम
खुशियों में भी दिख पड़ता हूँ ,
गम में तो बस बह पड़ता हूँ ,
चेहरे के भावों से होती मेरी पहचान
ख़ुशी ,गम सबमें मेरी अलग है शान।
नन्हे की आँखों में देख मुझे,
झट माँ डर जाती है,
बात जो मनवानी उसे ,
मुझे देख झट बन जाती ।
मै हूँ चीज बड़ी,
बड़ों -बड़ों को छल सकता हूँ ,
हर लेता सब दुःख -दर्द ,
जब गालों के पथ बहता हूँ ।
मुझे देख कोई गुर्राए ,
कोई छिप जाने को धमकाए
कोई मुझसे राग मिलाये ,
तो कोई दूर रहने की कश्में खाए ।
मैं हूँ घड़ियाली आँसू ,
मुझ पर यकीन न करना ,
बहुरूप्या बन सबकी वाट लगा देता ,
दिन को रात ,रात को दिन कर देता ।
1 टिप्पणी:
bahut khoob! :-)
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