गुरुवार, 24 सितंबर 2015

मेरी जिंदगी का मंत्र

मैं सच कहूँ कि  मेरे जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करनेवाला  quote अगर कोई  है तो यह वह quote है  जिसे मेरे  जीवन का मंत्र कहा जा सकता है  -
  "Love what you have.Need what you want,Accept what you recieve.Give what you can. Always remember what goes around,comes around."

Love what you have. Need what you want.--इस भौतिक संसार  में आत्म संतुष्टि बहुत बड़ा गुण  है । जिंदगी तभी आसान ही सकती है ,जब हमारे पास जो कुछ है ,उससे प्यार करें । हमें जिन चीजों की जरुरत है उसकी चाहत जरूर रखें । फिजूल या व्यर्थ की चीजों की चाहत रखने से घर में कूड़ा ही इक्कठा होता है । materialistic चीजों से ज्यादा हम उनसे प्यार करें जो वसूल हमारे जीवन से जुड़े हैं ।

किसी से कोई अपेक्षा रखना शायद जीवन से खुशियां छीन लेती है । जो जैसा है उसे उसी तरह स्वीकार करें ,तो जीवन आसान हो जाता है । अपेक्षा किए  जो कुछ मिलता है वह बेहद ख़ुशी प्रदान करता है । हमारी जिंदगी जिम्मेवारियों से भरी पड़ी हैं, इनका सामना स्वयं हमें करना है ।

'ईश्वर से  हमारा नाता  'दाता  और पता ' का है । वह देता है हम लेते हैं । उसे हम अपने स्वार्थ के सिवाय कुछ नहीं देते । इसलिए कम से कम हमारे पास जो कुछ है -रुपया -पैसा न सही ,प्यार ओर सहानभूति के दो शब्द तो दे ही सकते हैं ।


Accept what you recieve--इस परिवर्तनशील संसार में समय के अनुसार परिवर्तन को स्वीकारना बहुत जरुरी है । आज generation gap की सबसे बड़ी वजह "परिवर्तन ' को अस्वीकरना है । सहनशीलता और समझदारी दोनों के बिना संयुक्त परिवार चलाना  नामुमकिन है । रिश्तों को निभाना ,दोस्ती बरकरार रखना युवावों के साथ चलना -इन सब के लिए सोच बदलनी होगी ।

Always remember,what goes around ,comes around- हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए की हम औरों के साथ जैसा सलूक  करते हैं ,हमारे साथ भी वैसा ही होता है । यह स्वाभाविक है 'जैसा करेंगें वैसा भरेंगें "। शकुन के बदले शकुन ,अपशब्द के बदले अपशब्द ही मिलते है । Accept the responsibility of your life .it is you who will get you where you want to go, no one else.

मैं विश्वास करती हूँ -'life does not get better by chance ,it gets better by change.' परिस्थिति  व जरुरत के अनुकूल स्वयं को बदलने में । खुद वो बदलाव बनिए जो आप दूसरों में देखना चाहते हैं. । 

यह article मैंने सिर्फ  Indispire #lifemantra  के लिए लिखा है ।    

मंगलवार, 15 सितंबर 2015

अपूर्ण ख्वाहिशें

<b>Poetry</b> is the art of creating <b>imaginary</b> gardens with real toads.
picture google
क्या सोचती थी ,
वह याद नहीं ।
क्या चाहती थी ,
भूल गयी ।
समय के थपेड़ों ने ,
समुद्री लहरों -सी ,
एक छोर से
दूसरे छोर  तक ,
यूँ सुरक्षित ,
पहुंचा दिया कि -
शहर की गलियां ,
खोजने स्वयं
निकल पड़ी ।
जीवन के पथ पर ,
अनेक रूप मिले ,
पर किसी से कोई
शिकवा नहीं,
क्यूंकि हमसफ़र 
कुछ ऐसे मिले 
फिर चाह कोई 
बाकी  न रही । 
जीवन की संध्या 
के आते -आते ,
अपूर्ण ख्वाहिशें 
कविताओं में 
परिणित हो गयी । 
ऐ खुदा ! अब 
इन कविताओं को 
जिन्दा रखना मुझमें ,
कि  हँसते -मुस्कराते 
गुजरे जिंदगी । 








मंगलवार, 8 सितंबर 2015

mere vichar- ek khuli kitab: आज़ाद पंक्षी ये गगन के

mere vichar- ek khuli kitab: आज़ाद पंक्षी ये गगन के:                  जैसे ही एक दिन ,अपनी ऑफिस में घुसी  एक छोटी -सी चिड़िया ,चोंच में लिए मिट्टी  खिड़की से होकर बायीं दिवा...

बुधवार, 2 सितंबर 2015

प्रेम का पर्याय -" घीसा "



voice-Archana Chauji


प्यार का दायरा बहुत विस्तृत होता है।  ढाई अक्षर का यह 'प्रेम' ही वह शब्द है ,जो हर तरह के  रिश्तों  को बांध कर रखता है।

उपर्युक्त audio में लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा रचित कहानी 'घीसा' भाषित की गयी है । इस कहानी में गुरूजी (महादेवी वर्मा जी ) का गड़ेरियों  व ग्वालों  के अल्हड़  बच्चों के प्रति प्रेम व लगाव दर्शाया गया है। "घीसा " एक ऐसा बालक है जो अत्याधिक गरीब दुबला -पतला व कुपोषण का शिकार है।

गुरु के प्रति इसका प्रेम हम भलीप्रकार समझ सकते हैं  जब वह सुबह  पहले आकर  पेड़ के नीचे की जगह अपने गमछे से प्रतिदिन सफा करता है। गुरूजी की सीट चमकाता है ,भींगा  कुर्ता पहन कर आता  है जब गुरूजी स्वच्छ रहने की सलाह  देती है । अपना नया कुर्ता बेचकर  अपनी पूज्यनीया  गुरु जी के लिए उपहार लाता है   ,वे हिन्दू  -मुस्लिम दंगों के चपेट में ना आ  जाये - यह सोचकर ज्वर से ग्रस्त होने के बावजूद भी  अपनी झोपड़ी से अकेला उन्हें खोजने निकल पड़ता है । तरबूज सफ़ेद न निकल जाए - थोड़ा -सा कटवाकर ,अंगुली से चखता है । यह एक ऐसा प्रेम है जो आँखों को भी नम कर देता है।

दूसरी ओर  गुरूजी एक प्रतिष्ठित लेखिका होने के बावजूद भी ,जब भी अवकास मिलता गंगा किनारे इस झुग्गी -झोपड़ी के इलाके में इन गरीब बच्चों के साथ अपना अवकास बिताती ,उन्हें पढ़ाती -लिखाती ,स्वच्छता का महत्व बताती । दुबारा फिर किसी अवकास के वक्त वे गंगा किनारे इन बच्चों के बीच आती हैं ओर उन्हें मालूम पड़ता है कि  घीसा तो अपने भगवान को प्यारा हो गया है तो अन्य बच्चों में ही उसकी छवि ढूंढती है ।  यानि उनकी अपने कार्य में निःस्वार्थ  संलगनता -उन बच्चों  के प्रति प्रेम नहीं तो क्या है ? अपने कर्तब्य के प्रति लगाव नहीं तो क्या है ?  हाँ यह एक ऐसी  LOVE STORY है जो  मेरे दिल को सिर्फ  छू ही नहीं गयी अपितु   निःसंदेह प्रेरणा का श्रोत है ।   

सोमवार, 24 अगस्त 2015

कल और आज #Poetryonopposites

कल बचपन था, आज बुढ़ापा
तब चहल -पहल थी ,आज शुनशान
मिठी लगती थी तब,घुघनीवाले की घुघनी
केले के पत्ते में ,पत्ते की ही  चमच से
प्याज और धनिया ,चाट -चाट कर खाना
खट्टी हो गयी है चॉकलेट भी आज
फोफले हो गए गाल,गिर गए सारे दाँत
तब केले के पत्ते में ,खाकर स्वाद आता था
पिज्जा आज कीमती क्रॉकरी में बेस्वाद लगता है
मटकी का पानी भी ठंडा और  स्वच्छ लगता था
आज फ्रीज़ भी गर्म और आर.ओ भी अस्वछ्च है
बचपन में ज्यादा खाने पर भी पच जाता था
इस बुढ़ापे में थोड़ा खाते  ही अपच हो जाती है
कल 'पोशम्पा' का खेल भी स्फूर्ति देता था
आज तो  ताश के पत्ते भी थका देते हैं
कल एक ही ईशारे पर ,दोस्त दौड़ आते थे
आज अनेक बार बुलाने पर बहाने ढूंढते हैं
कल पॉकेट में एक पैसा न था ,फिर भी
मदमस्त ,चहकते ,बेपरवाह खेलते थे
आज ढेर सारा बैंक -बैलेंस ,जमीं -जायदाद है
पर वही उदासी ,मुरझाना ,सबकी परवाह है
कल बचपन था, आज बुढ़ापा
तब चहल - पहल थी ,आज शुनशान । 







  

बुधवार, 19 अगस्त 2015

ओस की ख्वाहिश

Dew Rose by DaFotoGuy

<b>Rose</b> <b>Dew</b>: la foto 1024 x 768 pix.








                                 



ओस ने की ख्वाहिश गुलाब से
जी चाहता है भर लूँ आलिंगन में        
जो देखती हूँ तुझे काँटों में पलते
फिर भी रहते सदा मुस्कराते
हँसते -हँसाते और मुस्कराते ।

जी चाहता है तेरे आलिंगन में
गुजर जाए छोटा-सा जीवन मेरा
White Rose Dew Drops Picturesतेरे जैसे राजा की रानी बन
सीखूं काँटों के बीच जीना
हंसना -हँसाना और खिलखिलाना ।                             

सुन बात ओस की ,गुलाब ने कहा -
कभी मुरझा जाता था जल्दी
पाकर अकेला स्वयं को
जब मिला स्पर्श तेरा
फिर से जीने की चाह  जगी  ।

तेरे आलिंगन मात्र से
मोतियों से सज गया हूँ
भींगा -भींगा -सा ,मस्त
पवन में तरो -ताज़ा हो, तेरी
चाहत का दीवाना हो गया हूँ ।








 ,




  

सोमवार, 17 अगस्त 2015

स्वाधीनता के 68 साल

 the national flag of india is a horizontal rectangular tricolour of ...

स्वतंत्रता के लिए ,जब चढ़ गए फांसी पर 
वीर भगतसिंह और चंद्रशेखर आज़ाद 
अहिंसा के सैनानी ,लड़ गए अपनी जान पर 
तब 15 अगस्त 1947 ने सुनी स्वतंत्रता की हुंकार 
अंग्रेजों के चंगुल से ,भारत हुआ आज़ाद । 

सोहरत कमाई ,तरक्की और तकनिकी पाई 
शिक्षा ,संस्कृति ,धीरे -धीरे आगे बढ़ी 
बैलगाड़ी से हवाईजहाज बन गए हम 
डॉक्टर ,इंजीनियर और वैज्ञानिक हो, अस्तित्व 
और पहचान की तलाश में ,छोड़ गए अपना वतन।   

जश्न सजने लगे , खुशियाँ मनने लगी 
संस्कृति ,सदाचार ,कर्मठता भूले हम 
कुर्सी की लड़ाई में, शहीदों की शहादत हुई कुर्बान 
पार्टी -पॉलिटिक्स चलने लगी ,मानवता बिकने लगी 
भ्रष्टाचार ,आतंक ,बलात्कार व घोटाले पनपने लगे । 

हिसाब -किताब की बारी आई ,तो काले झंडे लहराए

'मै नहीं तुम' की लड़ाई और जोरों से गहराई 
मै पूछती हूँ स्वयं से ,क्या है भागीदारी मेरी  
वोट देने का हक़ भी हमने ,भलिप्रकार न निभाया
सारा दोष मंढ सरकार के माथे ,ऐश -आराम फ़रमाया । 

जब तक जमीर न जागेगा ,हाथ अग्रसर न होंगे 
चेतना जागृत न होगी ,कर्मठता सोयी रहेगी 
जिम्मेदारी नहीं तय ,आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे तो  
मेरे देशवासियों ! रहेंगे गुलाम हम अपने ही हाथों 
यूँही कटेगी जिंदगी ,न ले सकेंगे स्वतंत्रता की साँस। 

पूर्ण आज़ादी मिलेगी तब ,होंगे जब सहस्त्र हाथ संग
स्वच्छता हो, बलात्कार चाहे हो  भ्रष्टाचार 
सब मिट जायेंगे ,होंगे जब स्वयं ईमानदार 
मुझसे समाज ,समाज से देश -सोच यह अपना लो 
छंट जायेंगे 68 साल के काले बादल ,देश होगा महान ।