सोमवार, 20 जुलाई 2015

Budhapa - rah ka roda nahi


बुढ़ापा - राह का रोड़ा नहीं 




अपनी जिंदगी के साठ  वसंत पार करने जा रही हूँ साल 2016 में । बचपन से लेकर आजतक सबकुछ झोली भरकर मिला । दादा -दादी ,माता -पिता का  प्यार ,भाई -बहनों संग अठखेलियाँ ,पति का प्यार ,बच्चों की खुशियां व आदर -सम्मान सबकुछ भरपूर मिला । किन्तु इन सबको पाने के लिए संघर्ष करते रहना पड़ा ।
समझदारी,सहिष्णुता और संतुलन की बहुत जरुरत पड़ी ।

वरिष्ठ नागरिक होने की कगार पर अब भविष्य तो सोचने का विषय है । मैं इस कथन में विश्वास रखती हूँ-हेनरी फोर्ड ने ठीक ही कहा है   "जो सीखना छोड़ देता है वो बूढ़ा है,चाहे बीस का हो या अस्सी का, जो सिखाता रहता है वो जवान रहता है ,जिंदगी की सबसे बड़ी चीज है अपने दिमाग को जवान रखना । "

ईश्वर ने सबसे बड़ा न्याय मेरे साथ यह किया कि  मुझे तीन बेटियाँ दी ,उनके साथ तीन बेटे फ्री में मिल गए । तक़दीर की धनी  मैं  कुछ कम  नहीं । पांच प्यारे - प्यारे नाती -नातिन जिंदगी में बहार लेकर आए हैं ।इस संदर्भ में मैं यही कहूँगी की जिंदगी के उन पलों को जिए ,याद रखें जो खुशियां देते हैं ।
"Cherish all your happy moments, they make a fine cushion for old age ." -Christopher Morley.
"Health is wealth "-यही है जो जीवन की संध्या को सहज और सुन्दर बनाने के लिए सबसे अधिक जरुरी है । भगवन बुद्धा ने भी कहा है -"बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं ,बस पीड़ा की स्थिति है -मौत की छवि है । "
हमारा दिमाग चुस्त है तो बुढ़ापे की चिंता किस बात की । सोच नयी तो उम्र नयी

मुझे बच्चों से बड़ा लगाव है । अपने नाती -नातियों के साथ जो लम्हे बिताती हूँ ,वे मुझे  चुस्त ,स्फूर्तिवान और तनावमुक्त बना देते हैं । ऐसे भी मैं शिक्षा के क्षेत्र से जुडी हूँ ,बच्चों के साथ समय बिताना ,उन्हें कुछ सीखना ,उनसे कुछ सीखना मुझे बड़ा अच्छा लगता है ।

"आत्म सम्मान की  रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म है । "-मुंशी प्रेमचंद  चाहे हम किसी उम्र के पड़ाव पर क्यों न पहुँच जाएँ ,आत्म -सम्मान का ख्याल जरूर रखना चाहिए । आत्म -सम्मान आर्थिक स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है ।
वृद्धावस्था में आर्थिक रूप से सम्पन्न रहना चाहिए ,जिसकी त्यारी युवावस्था से ही करनी चाहिए । हम काम से काम अपने स्वयं की खर्च उठाने की क्षमता जरूर रखें ,ताकि किसी के सामने हाथ फ़ैलाने की जरुरत न पड़े ।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है - बिना समाज के हम नहीं रह सकते ,अकेला महसूस करेंगें । Lion's Club की सदस्या होने के नाते अक्सर बीमार ,पिछड़े वर्ग के लोगों की सेवा करने का सौभाग्य मिलता हैं ,जो जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं । अपने हम उम्र लोगो के साथ समय बिताना ,एक दूसरे के सुख -दुःख बाँटना ,आपसी मदद करना जिंदगी को आगे बढ़ता है।

सबसे बड़ी चीज है कर्मठ होना "As long as I am breathing ,in my eyes ,I just beginning".- Criss Jami
हम अपनी आयु को अड़चन या रोड़ा के रूप में देखें तो गलत होगा । अंतिम साँस तक हमें काम करते रहना चाहिए ।
             
"खुदी  को कर बुलंद इतना की हर तक़दीर से पहले          
 खुदा बन्दे से पूछे ,बता तेरी रज़ा क्या है  ?"

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शनिवार, 20 जून 2015

missing you PAPA- you are the BEST

Missing you Papa-You are the best

(Dedicated to my father on this father,s day,who made me what am today.)


याद आती है -वह काली मखमल 
जो तुम खरीद लाए थे ,
                                                
                                                    तुरन्त सिलवाकर फ्रॉक माँ से  ,
                                                    मुझे पहना ,फोटो खिंचवाए थे 
बैठा साईकिल की छोटी सीट पर 
सैर करा कर  लाते थे  । 

याद आता है- वह आँगन
जंहाँ सुबह -सुबह , ले अख़बार हाथ में 
तुम स्पेलिंग पूछा करते थे ,
दुनिया भर की खबरें सुना -सुना 
वर्तमान से अवगत कराते थे ,
नाश्ते की टेबल पर ,ठहाकों के बीच ,
जीने की राह  दिखाते थे  । 

याद आते हैं -परीक्षा के वो दिन 
जब रात -रात  जागकर तुम
गर्म दूध और चाय की चुस्की से 
हमारी  नींद भगाया करते ,अच्छे अंक 
पाने को ,हमारा उत्साह बढ़ाया करते 
टाटा -बॉय -बॉय के बीच ,गुड -लक कह 
सारा टेंशन भगाया करते । 

याद आती है -तेरी और माँ की नोक -झोंक,
जो अक्सर हो जाया करती थी 
छोटी -छोटी बातों में ,माँ  रूठा करती थी ,
तेरा "होम मिनिस्टर" कह कर बुलाना 
फिर माँ का धीरे से मुस्काना -
'तेरे पापा तो बस ऐसे ही हैं '-कहकर 
रूठना -बिगड़ना भूल जाती थी 
और नोक -झोंक पल में रफ्फूचक्कर हो जाती । 

याद आता  है -तेरा निःस्वार्थ प्यार
क्या हम दे सकते है -
तेरे इस प्यार और  मेहनत को 
रहेंगे ऋणी जीवन - भर  
बसे  हो आज भी हमारे दिलों में 
महसूस यह हर वक्त  करते  हम 
पापा यू आर द  बेस्ट ,यू आर द बेस्ट । 
       

गुरुवार, 28 मई 2015

SANTULAN (BALANCE)


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संतुलन


'संतुलन'-- शब्द को हम महज एक शब्द न समझ कर इसके विस्तृत रूप को देखें तो ,हम जानेंगे कि  हमारे सुन्दर जीवन का आधार  ही संतुलन है । जिसप्रकार तराजू पर सटीक तौल जानने के लिए दोनों पलड़ों पर बराबर वजन आवश्यक है ,ठीक उसीप्रकार जीवन के हर क्षेत्र को सुखमयी बनाने के लिए संतुलन जरुरी है । सीधे खड़े रहने के लिए पैरों का संतुलन जरुरी है अन्यथा हमें लचक कर चलना होगा।

जीवन के हर क्षेत्र -मानसिक ,आर्थिक ,सामाजिक,राजनैतिक या अनुशासनिक सभी में संतुलन होना अत्यावश्यक  है ।

कोई विद्यार्थी सिर्फ किताबी कीड़ा बन जाये और खेलकूद ,अनुशासन ,खानपान  इत्यादि के बीच संतुलन न रखे तो वह बीमार पड़ जायेगा ,मानसिक तनाव का शिकार हो जायेगा । हम अगर दिनभर काम -काज में फंसे रहे ,स्वयं के लिए समय न निकाले  तो उच्च रक्त चाप के मरीज हो जायेंगे \

जँहा  तक रिश्तों का सवाल है ,संतुलन की बहुत बड़ी भूमिका है । माता -पिता अगर पुत्र से यही चाहे कि  वह उनकी तहे दिल से सेवा करे ,उनके सारे अरमान पुरे करे और  उसके साथ सात फेरे लेकर आई पत्नी को समय न दे । और दूसरी तरफ बेटा भी स्वार्थी हो जाये ,अपनी बीबी -बच्चों में लगा रहे ,बूढ़े माता -पिता का तनिक भी ख्याल न रखे ,जिन्होंने उसे जन्म दिया ,पाला -पोषा , तो रिश्ते छलनी -छलनी हो जायेंगे । जिंदगी जहर बन जाएगी ।

आर्थिक संतुलन को समझने  के लिए एक ही पंक्ति काफी है -"कमाई अठ्ठनी ,खर्च रुपया "। ऐसा करने पर परिणाम हम भलि भांति समझ सकते हैं ।

किसी बच्चे को हम यूँ अनुशासित करना चाहे कि  वह हमारे सामने मुंह न खोले। आँखे न उठाये तो हम अपनी सोच का संतुलन खो रहे हैं । हमारे और युवा पीढ़ी के बीच खायी खोद रहें हैं ।

"कथनी और करनी " में संतुलन न हो तो राजनैतिक गलियारे में सत्ता पलट सकती है ।

पर्यावरण का भी अगर संतुलन बिगड़ जाये तो चारों ओर तबाही मच जाएगी । प्रकृति प्रितिशोध लेना शुरू कर देगी। धरती को स्वर्ग बनाकर रखना है तो पर्यावरण का संतुलन बनाये रखना होगा ।

स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए "आहार "संतुलित न हो तो शारीरिक व्यवस्था कमजोर पड़ सकती है ।
इसप्रकार 'संतुलन ' शब्द को हम बृहत्तर रूप में परिभाषित करें तो पाएंगे कि यह हमारे जीवन का आधार है ।
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 pictures from google

बुधवार, 27 मई 2015

GHADIYALI ANSOO

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घड़ियाली  आँसू 


कैसे सुनाऊ मेरी कहानी ,
मेरी महिमा है अंजानी ,
क्या ख़ुशी ,क्या गम ,
मैं दिखता हर पल ,हर दम  

खुशियों में भी दिख  पड़ता हूँ ,
गम में तो बस बह  पड़ता हूँ ,
चेहरे के भावों से होती मेरी पहचान 
ख़ुशी ,गम सबमें मेरी अलग है शान। 

नन्हे की आँखों में देख मुझे, 
झट माँ  डर  जाती है,
बात जो मनवानी उसे ,
मुझे देख झट बन जाती । 

मै  हूँ चीज बड़ी, 
बड़ों -बड़ों को छल सकता हूँ ,
हर लेता सब दुःख -दर्द ,
जब गालों के पथ बहता हूँ ।

मुझे देख कोई गुर्राए ,
कोई छिप जाने को धमकाए 
कोई मुझसे राग मिलाये ,
तो कोई दूर रहने की कश्में खाए ।

मैं  हूँ घड़ियाली आँसू ,
मुझ पर  यकीन  न करना ,
बहुरूप्या  बन सबकी वाट लगा देता ,
दिन को रात ,रात  को दिन कर देता । 




  

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