शनिवार, 16 जुलाई 2016

बचपन दोबारा जी रही #nostalgia


                                             







याद आती  हैं -
साईकल की छोटी वाली सीट 
हो जाती फ़ैल ,नयी नयी गाड़ियां 
बैठ पापा संग ,सैर का आनंद 
लेती ,राजकुमारी -सा । 

याद आतें हैं -
गुड़ियों के बर्तन ,जिनमे परोस 
खाना  ,स्वयं को शेफ समझती
परिधान सिल गुड़ियों के ,पल में 
बड़ी डिज़ाइनर जो बन जाती । 

याद आते  हैं-
बारिस के वो दिन , बना 
कागज की नाव ,पानी में बहा 
भींग पागलों की तरह 
सुध -बुध खो ,मस्त मौला बन जाती । 

याद  आते हैं -
पतंग का मांजा ,पत्थर की ढेरी
गिल्ली -डंडा और आँख मिचौली 
पोसम -पा हो या शीशे का कंचा 
मिलजुल साथी सब ,स्वतंत्र खेल करते । 

याद आते हैं -
भाई -बहनों संग हुई नोक -झोंक 
एक दूसरे को मुँह चिढ़ाकर 
फिर बाँहों में बाँहे डाल कर 
सातवें आसमान पर होते । 

याद आते हैं -
पड़ोसवाली आंटी की खिल्ली उड़ाना 
फिसलने पर ,ताली बजा -बजा हँसना 
स्कूल के बस्ते में ,इमली छुपाना 
टीचर से नज़र बचा ,छुप-छुप खाना । 

समय बित गया ,बचपन बूढ़ा  हो रहा 
आज बन नानी फिर ,नाती -पोतों संग 
उनकी  नादानी ,चहल -कदमी  और 
अठखेलियों संग, बचपन दोबारा जी रही ।
 

This post is written for the IndiSpire topic "you will find more happiness growing downthan up."Do you wish to relive your chilhood ?#nostalgia 





सोमवार, 4 जुलाई 2016

अंतर्मन की पुकार #forgiveness



क्यूँ  कर क्षमा करूँ मैं 
चोट जमीर पर खाई 
दिल हुआ खंडित शीशे -सा 
अश्रुधारा नैनों से बह चली 
विश्वासघात का प्रहार हुआ 
स्वप्न के परे की कल्पना से 
मुखातिब आज हुआ 
इतना सब सह लेने पर भी 
नींद न आई रात -भर 
करवटें बदलता रहा
अजीब -सी कसमकस में 
अंतर्मन से निकली पुकार 
क्षमा का मिला वरदान 
सांसे लौटी ,हुआ सबेरा 
हल्का हुआ मस्तिष्क 
उधेड़ -बुन से मिली मुक्ति 
हुआ जब यह एहसास 
क्षमादान कठिन ,पर है श्रेष्ठदान ।


This post is written for the Inspire prompt "Forgiveness is not easy to come by. But it is a sign of one's inner strength. What is your take on it?#Forgiveness






मंगलवार, 28 जून 2016

गीत सुरीला


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रोज की तरह 
बैठी थी आज भी 
अपनी दफ्तर की कुर्सी पर 
कुछ फाइल देख रही थी 
कि  मीठा -सा  गीत 
कानों  को सुरीला लगा 
धीरे -से पलकें उठी 
होठों पर मुस्कराहट 
घौंसले में फिर -से दिखे  
चिड़िया के बच्चे चार 
गीत सुरीला चूं -चूं का था 
एकबार फिर मन मोहित हुआ 
जिस तरह पिछली साल ॥ 

This is posted under the Indi spire topic `With all your senses "Fall in love- One more time."

गुरुवार, 23 जून 2016

सांवली #thatstory


जब बन दुल्हन पिया संग
ससुराल अपने चली आई
साल -दो -साल में बिटिया प्यारी
मेरे  आँगन है मुस्कराई
उसकी तुतली बातों में
पिया की मस्त भरी बाहों में
दो साल फिर गुजर गए
गोदी में फिर से जुड़वां ने
धीमी मुस्कराहट से दस्तक दी
तीनो बेटियों संग रचा यह संसार
उनकी अठखेलियां ,बन गयी
जीवन की पर्याय ।

बड़े -बुजुर्गों से दबाब आने लगा
बेटियों को एक भाई तो चाहिए
मन ही मन कसोस रही थी
न है शक्ति मुझमें ,न क्षमता
सुझाव आया एक बेटा गोद ले लूँ
समझ ना पा  रही थी ,क्या दे
सकुंगी - प्यार किसी पराई जान को
जो अपनी कोख को दे रही हूँ
फिर भी स्वयं को समझाया ,
बहलाया ,की बेटा  तो चाहिए
वंशबृद्धि को ,या बहनो को भाई
इस उथल -पुथल में ले आई
अपनी गोदी में एक अनाथ फूल
परिवार की खुशियां सातवां
आसमान छू रही थी ,बेटियां पा
भाई ख़ुशी से मचल रही थी ।

आई फिर वह अपशकुन घड़ी
इस प्यार को डस  गयी एक भूल
खेलते -खेलते सीढ़ियों से यूँ गिरा
आँखे बूझ गयी चिरकाल  को
खुशियां प्यार सब लूट गया
पश्चाताप की गहन अग्नि में
बेवजह बेटे का क्यों मोह लगाया
ना चाह कर भी गले से लगाया
जीवन का अभिन्न अंग बनाया 
अपनी जान से भी ज्यादा चाहा
क्या यह एक अकाल्पनिक पश्चाताप नहीं ?


This is posted under the Indi spire topic"Loving is not always an easy task. Love comes with it's share of pain and guilt. Share a story or invent one where that pain is revealed in a form unimaginable, in a direction not-thought."