बुधवार, 27 मई 2015

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mere vichar- ek khuli kitab: UNCHA MAKAN FIKA PAKWAN

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शनिवार, 9 मई 2015

mere vichar- ek khuli kitab: Bhashan aur Dua

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mere vichar- ek khuli kitab: UNCHA MAKAN FIKA PAKWAN

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ऊँचा मकान ,फीका पकवान

  


आते जाते पहाड़ की घाटी पर 
चायपत्ती के बगीचे खुबसुरत 
मन मोह लिया करते थे 
हरी -भरी झाड़ियाँ  ,
छाया देते लम्बे -पतले  वृक्ष 
प्रकृति की छटा बिखेरते थे । 

न जाने क्या हुआ ,बढती 
जनसंख्या को यह खुबसुरती 
रास न आई ,क्योंकि वहाँ 
नया शहर जो बसना था 
मैदान साफ हुआ ,ऊँची -ऊँची 
अट्टालिकाएं सर उठाये खड़ी हुई । 

ड्यूप्लेक्स बने,पार्क बने 
स्कूल ,क्लब और रेसोर्ट बने 
देखते -देखते खुबसुरत ब्रांडों का 
मॉल यूँ ,हँसता हुआ खड़ा हुआ 
मानो सारी जनता का शॉपिंग के लिए 
अभिनन्दन कर रहा हो । 

मगर ये क्या ?-ये मॉल सिर्फ 
समय बिताने की इमारत बन गयी 
इसकी हंसी फिकी पड़ गयी 
क्यूंकि इसके सामने ,सड़क किनारे 
छोटी -छोटी दुकानें जो खुल गयी 
पांच सितारे की जगह ,लाइन होटल खुल गयी । 

सारी भीड़, तो ये खुमचे वाले
पुचके और चाटवाले ले गए 
हरेक माल बीस ,पचास और सौ 
रूपये चिल्लाने वाले बेच गए 
जिंदगी की यही हकीकत है 
ऊँचा मकान  फीका पकवान । 
Vendors set up nameless stalls outside Jayanagar Shopping Complex, claiming that they face trouble from neither the municipal body nor the police | Nagaraj GadekalImage result for images of footpath shopping in indian villagesImage result for images of footpath shopping in indian villages
 pictures from google