KURSEONG
कर्सियांग - हिमालय की गोदी में बसा एक खुबसुरत छोटा -सा शहर है । चारों तरफ लम्बे - लम्बे पाइन के वृक्षों से ढका हुआ -हरियाली का है । गिरगिट की तरह यहाँ का मौसम भी अपना रंग बदलता रहता है । अभी कुहासा है ,थोड़ी देर बाद बिल्कुल शीशे -सा साफ ,फिर धूप तो फिर धुंधलका ,पता ही नहीं चलता मौसम के मूड का । देखते ही देखते बादल जमीं पर उतर आते हैं । कंचनजंघा अपनी सुनहरी छटा प्रातःकाल व संध्या समय बड़ी खुबसुरती से बिखेरती है । यह शहर 'LAND OF WHITE ORCHID' के नाम से भी जाना जाता है ।चाय के बगीचों का धनि यह शहर संसार के हर कोने तक अपनी चाय की पत्तियों की खुशबू बिखेरता है । छुक -छुक करती ,धुआँ छोड़ती ,सकड़ी -सकड़ी रेल की पटरियों पर चलती टॉय -ट्रेन ,अपने -आप में एक राष्ट्रीय धरोहर है । यंहा के संतरों का स्वाद लाजवाब है ।
रही बात यंहा के वासियों की - वे भी अनूठे हैं । मिलनसार ,साफ -स्वच्छ और सुन्दर हैं । इनकी अपनी वेश -भूषा -दवरासुलार ,नेपाली टोपी ,उसपर लगा खुखरी का बेज -पुरुषों पर खूब फबता है ।महिलाएं अपनी परम्परागत वेश -भूषा चौबन्दी- चौला और फारिया में बहुत खिलती हैं । युवाओं का जिक्र करे तो इन्हें 'Anglo-indian" कहना कोई गलत नहीं होगा । हर नयी फैशन के यह लोग दीवाने होते हैं । अपने लोकगीतों ,संस्कृति और सभ्यता से बड़ा लगाव रखते हैं ।
इन गोरखाओं का हमारे देश की स्वतंत्रता में भी बड़ा योगदान रहा है । यहाँ की भाषा गोर्खाली (नेपाली ) है ।
1 टिप्पणी:
Kurseoung ke ye chitra dekhne ke baad mujhe bhi yaha sair pe jaane ki prabal ichha ho rahi hai. Asha hai ki bhavishya me aisa mauka milega.
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