बुधवार, 3 दिसंबर 2014

KUSEONG- A LAND OF WHITE ORCHIDS



KURSEONG

कर्सियांग - हिमालय की गोदी में बसा एक खुबसुरत छोटा -सा शहर है । चारों तरफ लम्बे - लम्बे पाइन के वृक्षों से ढका हुआ -हरियाली का  है । गिरगिट की तरह यहाँ का मौसम भी अपना रंग बदलता रहता है । अभी कुहासा है ,थोड़ी देर बाद बिल्कुल शीशे -सा साफ ,फिर धूप तो फिर धुंधलका ,पता ही नहीं चलता मौसम के मूड का । देखते ही देखते बादल  जमीं पर उतर आते हैं । कंचनजंघा अपनी सुनहरी छटा प्रातःकाल व  संध्या समय बड़ी खुबसुरती से बिखेरती है । यह शहर 'LAND OF WHITE ORCHID' के नाम से भी जाना जाता है ।
                                            चाय के बगीचों का धनि यह शहर संसार के हर कोने तक अपनी चाय की पत्तियों की  खुशबू बिखेरता है । छुक -छुक करती ,धुआँ छोड़ती ,सकड़ी -सकड़ी रेल की पटरियों पर चलती टॉय -ट्रेन ,अपने -आप में एक राष्ट्रीय धरोहर है । यंहा के संतरों का स्वाद लाजवाब है ।
                                             रही बात यंहा के वासियों की - वे भी अनूठे हैं । मिलनसार ,साफ -स्वच्छ और सुन्दर हैं । इनकी अपनी वेश -भूषा -दवरासुलार ,नेपाली टोपी ,उसपर लगा खुखरी का बेज  -पुरुषों पर खूब फबता है ।महिलाएं अपनी परम्परागत वेश -भूषा  चौबन्दी- चौला और फारिया में बहुत खिलती हैं । युवाओं का जिक्र करे तो इन्हें 'Anglo-indian" कहना कोई गलत नहीं होगा । हर नयी फैशन के यह लोग दीवाने होते हैं । अपने लोकगीतों ,संस्कृति और सभ्यता से बड़ा लगाव रखते हैं ।
                                              इन गोरखाओं का हमारे देश की स्वतंत्रता में भी बड़ा योगदान रहा है । यहाँ  की भाषा गोर्खाली (नेपाली ) है ।


1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Kurseoung ke ye chitra dekhne ke baad mujhe bhi yaha sair pe jaane ki prabal ichha ho rahi hai. Asha hai ki bhavishya me aisa mauka milega.