Blogs लिखने की कहानी याद करूँ तो ,मैं बचपन में एक मेधावी छात्रा थी ।अपनी स्कूल की पत्रिका में लेख कविता लिखने की आदत थी । विवाहोपरांत भी मेरे पति करीब डेढ़ साल दिल्ली रहे , जंहा किसी कंपनी में कॉमर्सियल मैनेजर के पोस्ट पर थे । हमारा संपर्क ,मेल -मिलाप पत्रों के जरिये ही हुआ करता था । परिवार में मैं "पोस्ट -ऑफिस " के नाम से जानी जाती थी ।
धीरे -धीरे संयोग कुछ ऐसा हुआ कि हमलोगों ने एक बोर्डिङ्ग स्कूल की शुरुआत की । मेरी बेटियां बड़ी हो रही थीं । मैंने स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया । मुझे पढाते अब छब्बीस वर्ष हो गए । बेटियां अपने ससुराल चली गईं । स्कूल के पश्चात शाम का समय बड़ा खाली व सुना लगता था ।
पचपन साल की होते -होते मुझे यूँ लगने लगा कि स्वयं को व्यस्त रखने के लिए कुछ न कुछ hobby जरूर पाल लेनी चाहिए । इसप्रकार मैंने अपने सोये हुनर को एक बार फिर से जगाने की कोशिश शुरू की । बड़ी खुशी मिलती है जब अपने विचार इन ब्लॉग्स के माध्यम से आप सभी के साथ बाँट पाती हूँ , आप सभी के विचारों से खूब सीखने को भी मिलता है । सच कहूं तो इंटरनेट, ब्लोग्स साइट ,तथा ब्लोग्स कैसे लिखे जातें हैं ,मुझे ज्यादा ज्ञान नहीं था ।
मगर एक दृढ निश्चय के साथ लिखना शुरू किया है । आप सभी का प्यार मिलता है ,उत्साहजनक comments जब मिलते है तो लिखने का होंसला और बढ़ता है । ये ब्लॉग्स सही माने में मेरे बुढ़ापे के लिए बहुत बड़ा सकारात्मक सहारा साबित होंगें ।
Thanks Indiblogger for giving me such a beautiful plateform to share my views.
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