परिवर्तन
ख्यालों के तानों -बानों में
सपनो की गहराइयों में
आज और कल के अंतराल में
नव और पुरातन में
एक परिवर्तन चाहिए
एक परिवर्तन चाहिए ।
कथनी और करनी में
भाषण और वादों में
नेता और प्रजा में
देश और राजनीति में
एक परिवर्तन चाहिए
एक परिवर्तन चाहिए ।
कलम और तलवार में
साहित्य और समाज में
व्यापार और व्यवस्था में
भूख और पिज़्ज़ा में
एक परिवर्तन चाहिए
एक परिवर्तन चाहिए ।
ना अड़े रहें ,ना डटे रहें
अन्धविश्वास की संकीर्णता पर
बढे चलें -बढे चलें
सभी के उत्थान के लिए
सुन्दर भविष्य के लिए
एक परिवर्तन चाहिए ।